जब आशा का सूरज बुझ जाए
और घोर अंधेरा छा जाए
फिर शक्ति स्वरूपा नारी
सबका सम्बल बन जाए ।
तुम माँ हो तुम माँ हो
पत्नी होकर भी माँ हो ,
शक्ति का स्रोत रहो सदा
मत खोजो शक्ति यदा कदा ,
दुर्भाग्य समाज व्यवस्था का
जो तुम्हें कभी अबला माने ,
पुरुष का सामर्थ्य कहाँ
जो तेरी क्षमता पहचाने ।।
नौ रूप बहुत कम है ,
जितने रूपों में शक्ति बड़ी ।
बस अर्चन करें तुम्हारा ,
मन कृतज्ञ हो हर घड़ी ।।
©दर्शनप्रशांत
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