गज़ल- ख़ुशबू तेरी साँसों की संदली ख़ुशबू मेरी | हिंदी शायरी

"गज़ल- ख़ुशबू तेरी साँसों की संदली ख़ुशबू मेरी साँसों में है घुली ख़ुशबू जब भी तेरा ख़याल आता है ऐसा लगता है ओढ़-ली ख़ुशबू ज़िक्र तेरा सुकून देता है ज़िंदगी है ये चुलबुली ख़ुशबू ये हवा की कोई शरारत है छेड़ जाती है मनचली ख़ुशबू तू बसा है मेरी निगाहों में तू है नज़रों की मख़मली ख़ुशबू तेरी उल्फ़त मेरी इबादत है इश्क़ से रूह में खिली ख़ुशबू रंग लाई है ये दुआ तेरी आज दीया को है मिली ख़ुशबू ©Dipti Singh Diya"

 गज़ल- ख़ुशबू 


तेरी साँसों की संदली ख़ुशबू 
मेरी साँसों में है घुली ख़ुशबू 

जब भी तेरा ख़याल आता है
ऐसा लगता है ओढ़-ली ख़ुशबू 

ज़िक्र तेरा सुकून देता है 
ज़िंदगी है ये चुलबुली ख़ुशबू 

ये हवा की कोई शरारत है
छेड़ जाती है मनचली ख़ुशबू

तू बसा है मेरी निगाहों में 
तू है नज़रों की मख़मली ख़ुशबू 

तेरी उल्फ़त मेरी इबादत है
इश्क़ से रूह में खिली ख़ुशबू 

रंग लाई है ये दुआ तेरी 
आज दीया को है मिली ख़ुशबू

©Dipti Singh Diya

गज़ल- ख़ुशबू तेरी साँसों की संदली ख़ुशबू मेरी साँसों में है घुली ख़ुशबू जब भी तेरा ख़याल आता है ऐसा लगता है ओढ़-ली ख़ुशबू ज़िक्र तेरा सुकून देता है ज़िंदगी है ये चुलबुली ख़ुशबू ये हवा की कोई शरारत है छेड़ जाती है मनचली ख़ुशबू तू बसा है मेरी निगाहों में तू है नज़रों की मख़मली ख़ुशबू तेरी उल्फ़त मेरी इबादत है इश्क़ से रूह में खिली ख़ुशबू रंग लाई है ये दुआ तेरी आज दीया को है मिली ख़ुशबू ©Dipti Singh Diya

#गज़ल
वज़्न- 212 212 1222

तेरी साँसों की संदली ख़ुशबू
मेरी साँसों में है घुली ख़ुशबू

जब भी तेरा ख़याल आता है
ऐसा लगता है ओढ़-ली ख़ुशबू

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