* -----------×-----------×----------- हे नर्स, | मराठी कवि

"* -----------×-----------×----------- हे नर्स, तेरी हर पग गाथा का गुणगान करूँ, तू है देव तुल्य नर्स नारी मैं तेरा क्या बखान करूँ। तेरी संघर्षशील दृढ़ निष्ठो का, मैं शत शत कोटि प्रणाम करूँ। नभ की गरिमा का फूल है तू, मन रज धारा अनुकूल है तू। है धन्य धरा पर पर मान तेरा, जन प्रिय अमिट तृणमूल मूल है तू। सेवा का उत्तम भाव तुम्हारा, है निस्वार्थ भाव अहसान तुम्हारा। बिना भेद भाव रखना सब का ख्याल तुम्हारा, है जनमानस से लगाव तुम्हारा। अपने दुःखो में न रोकर, रातों को तू न सोकर । निजी सुखों को त्यागकर , है देश प्रेम से जुड़ाव तुम्हार। इस धरा पर नर्स तुम अनमोल हो, विपदा की घड़ी में सबका करती इलाज हो। मैं न कर सका तेरी गाथा क बखान हो, तुम्हारे कर्तव्यों को बारम्बार प्रणाम हो।। स्वरचित एवं मौलिक रचना वैभव मिश्रा अमेठी उत्तर प्रदेश ©Vaibhav Mishra"

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 हे नर्स,
    तेरी हर पग गाथा का गुणगान करूँ,
तू है देव तुल्य नर्स नारी मैं तेरा क्या बखान करूँ।
तेरी संघर्षशील दृढ़ निष्ठो का,
मैं शत शत कोटि प्रणाम करूँ।

नभ की गरिमा का फूल है तू,
मन रज धारा  अनुकूल है तू।
 है धन्य धरा पर पर मान तेरा,
जन प्रिय अमिट तृणमूल मूल है तू।

सेवा का उत्तम भाव तुम्हारा,
है निस्वार्थ भाव अहसान तुम्हारा।
बिना भेद भाव रखना सब का ख्याल तुम्हारा,
है जनमानस से लगाव तुम्हारा।

अपने दुःखो में  न रोकर,
रातों को तू न सोकर ।
निजी सुखों को त्यागकर ,
है देश प्रेम से जुड़ाव तुम्हार।

इस धरा पर नर्स तुम अनमोल हो,
विपदा की घड़ी में सबका करती इलाज हो।
मैं न कर सका तेरी गाथा क बखान हो,
तुम्हारे कर्तव्यों को बारम्बार प्रणाम हो।।

                              
स्वरचित एवं मौलिक रचना 
 वैभव मिश्रा
अमेठी उत्तर प्रदेश

©Vaibhav Mishra

* -----------×-----------×----------- हे नर्स, तेरी हर पग गाथा का गुणगान करूँ, तू है देव तुल्य नर्स नारी मैं तेरा क्या बखान करूँ। तेरी संघर्षशील दृढ़ निष्ठो का, मैं शत शत कोटि प्रणाम करूँ। नभ की गरिमा का फूल है तू, मन रज धारा अनुकूल है तू। है धन्य धरा पर पर मान तेरा, जन प्रिय अमिट तृणमूल मूल है तू। सेवा का उत्तम भाव तुम्हारा, है निस्वार्थ भाव अहसान तुम्हारा। बिना भेद भाव रखना सब का ख्याल तुम्हारा, है जनमानस से लगाव तुम्हारा। अपने दुःखो में न रोकर, रातों को तू न सोकर । निजी सुखों को त्यागकर , है देश प्रेम से जुड़ाव तुम्हार। इस धरा पर नर्स तुम अनमोल हो, विपदा की घड़ी में सबका करती इलाज हो। मैं न कर सका तेरी गाथा क बखान हो, तुम्हारे कर्तव्यों को बारम्बार प्रणाम हो।। स्वरचित एवं मौलिक रचना वैभव मिश्रा अमेठी उत्तर प्रदेश ©Vaibhav Mishra

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