Vaibhav Mishra

Vaibhav Mishra Lives in Amethi, Uttar Pradesh, India

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#शायरी

कोई प्यार कर बैठा है

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........................................................... ©Vaibhav Mishra

#कविता  ...........................................................

©Vaibhav Mishra

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#शायरी  ..............................................................................

©Vaibhav Mishra

* -----------×-----------×----------- हे नर्स, तेरी हर पग गाथा का गुणगान करूँ, तू है देव तुल्य नर्स नारी मैं तेरा क्या बखान करूँ। तेरी संघर्षशील दृढ़ निष्ठो का, मैं शत शत कोटि प्रणाम करूँ। नभ की गरिमा का फूल है तू, मन रज धारा अनुकूल है तू। है धन्य धरा पर पर मान तेरा, जन प्रिय अमिट तृणमूल मूल है तू। सेवा का उत्तम भाव तुम्हारा, है निस्वार्थ भाव अहसान तुम्हारा। बिना भेद भाव रखना सब का ख्याल तुम्हारा, है जनमानस से लगाव तुम्हारा। अपने दुःखो में न रोकर, रातों को तू न सोकर । निजी सुखों को त्यागकर , है देश प्रेम से जुड़ाव तुम्हार। इस धरा पर नर्स तुम अनमोल हो, विपदा की घड़ी में सबका करती इलाज हो। मैं न कर सका तेरी गाथा क बखान हो, तुम्हारे कर्तव्यों को बारम्बार प्रणाम हो।। स्वरचित एवं मौलिक रचना वैभव मिश्रा अमेठी उत्तर प्रदेश ©Vaibhav Mishra

#कविता #Flower  *
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 हे नर्स,
    तेरी हर पग गाथा का गुणगान करूँ,
तू है देव तुल्य नर्स नारी मैं तेरा क्या बखान करूँ।
तेरी संघर्षशील दृढ़ निष्ठो का,
मैं शत शत कोटि प्रणाम करूँ।

नभ की गरिमा का फूल है तू,
मन रज धारा  अनुकूल है तू।
 है धन्य धरा पर पर मान तेरा,
जन प्रिय अमिट तृणमूल मूल है तू।

सेवा का उत्तम भाव तुम्हारा,
है निस्वार्थ भाव अहसान तुम्हारा।
बिना भेद भाव रखना सब का ख्याल तुम्हारा,
है जनमानस से लगाव तुम्हारा।

अपने दुःखो में  न रोकर,
रातों को तू न सोकर ।
निजी सुखों को त्यागकर ,
है देश प्रेम से जुड़ाव तुम्हार।

इस धरा पर नर्स तुम अनमोल हो,
विपदा की घड़ी में सबका करती इलाज हो।
मैं न कर सका तेरी गाथा क बखान हो,
तुम्हारे कर्तव्यों को बारम्बार प्रणाम हो।।

                              
स्वरचित एवं मौलिक रचना 
 वैभव मिश्रा
अमेठी उत्तर प्रदेश

©Vaibhav Mishra

*नमन मंच* ---------×------------- विषय - माँ(जननी) विधा - स्वैच्छिक शीर्षक- प्रेरणास्रोत माँ दिनाँक- 09/05/2021 -----------×-----------×----------- *सर्व प्रथम माँ के चरणों मे वंदन* 🌹🙏🏻🙏🏻🌹🙏🏻🙏🏻🌹 माँ मैं अज्ञान हूँ ,पर संतान हूँ तेरा । तू स्वयं इतनी ज्ञानी है,क्या करूँ विस्तार मैं तेरा। तू मेरी जननी है,मैं बालक नादान हूँ तेरा। यह सृजन तेरा हम प्रकृति तेरी,है अस्तित्व वरदान देने तेरा। प्रेम की पराकाष्ठा है तू,सभी प्राणी की आस्था है तू। सृष्टि का परिचय कराती है तू,जीवन का पाठ सिखाती है तू। प्रेम का बहता झरना है तू,गंगा सी पावन निर्मल है तू। सारे दुख को सहती है तू,पर मेरे लिए खुशियां बटोरती है तू। तू जन्म से रक्त का बंधन है,तू मेरे पालन जज्बातों का संगम है। तू शब्द नही पूर्ण ग्रंथ है,जिसका युगों युगों तक न कोई अंत है। माँ तेरे अगणित उपकारों का कैसे मैं सब वर्णन करूँ, माँ मै तेरे निर्मल चरणों मे मोल रूप क्या अर्पण करूँ। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 -----------×-----------×----------- *मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं* व *सभी माताओं के चरणों मे सादर स्पर्श सहित गुंजन* स्वरचित एवं मौलिक रचना वैभव मिश्रा अमेठी उत्तर प्रदेश ©Vaibhav Mishra

#कविता #MothersDay2021  *नमन मंच*
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विषय -   माँ(जननी)
विधा  -   स्वैच्छिक
शीर्षक- प्रेरणास्रोत माँ
दिनाँक- 09/05/2021
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 *सर्व प्रथम माँ के चरणों मे वंदन* 
🌹🙏🏻🙏🏻🌹🙏🏻🙏🏻🌹

माँ मैं अज्ञान हूँ ,पर संतान हूँ तेरा ।
तू स्वयं इतनी ज्ञानी है,क्या करूँ  विस्तार मैं तेरा।
तू मेरी जननी है,मैं बालक नादान हूँ तेरा।
यह सृजन तेरा हम प्रकृति तेरी,है अस्तित्व वरदान देने तेरा।

प्रेम की पराकाष्ठा है तू,सभी प्राणी की आस्था है तू।
सृष्टि का परिचय कराती है तू,जीवन का पाठ सिखाती है तू।
प्रेम का बहता झरना है तू,गंगा सी पावन निर्मल है तू।
सारे दुख को सहती है तू,पर मेरे लिए खुशियां बटोरती है तू।

तू जन्म से रक्त का बंधन है,तू मेरे पालन जज्बातों का संगम है।
तू शब्द नही पूर्ण ग्रंथ है,जिसका युगों युगों तक न कोई अंत है।
माँ तेरे अगणित उपकारों का कैसे मैं सब वर्णन करूँ, 
माँ मै तेरे निर्मल चरणों मे मोल रूप क्या अर्पण करूँ।
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

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 *मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं*
   व 
*सभी माताओं के चरणों मे सादर स्पर्श सहित गुंजन* 
स्वरचित एवं मौलिक रचना 
 वैभव मिश्रा
अमेठी उत्तर प्रदेश

©Vaibhav Mishra
#कविता #cominghome  VM Education
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