स्त्री सोचती हुँ,इस जिंदगी के, मायने क्या ह

"स्त्री सोचती हुँ,इस जिंदगी के, मायने क्या है, मेरे अपने,मुझे समझाते,मेरे दायरे क्या है, हर वक़्त रहता एक सवाल ज़हन में, स्त्री होने के आखिर फायदे क्या है, सोचती हुँ, इस जिंदगी के, मायने क्या है | सूरज चढ़ता, दिन ढलता, बस यूँ ही वक़्त सी मैं ढलती जाती, कुछ ठहरा सा लगता है, वो बस मेरे जज्बातों का दरिया है, मैं रोज लगाती गोते जिसमें, कभी हसती,कभी मैं रोती, दिन रात मैं खुद से लड़ती रहती, छोड़ दिया हमने जिनके लिए सपने अपने, वो स्त्री के अहमियत क्यों नहीं समझते, ना समझ सी मैं, ना जानती ये समाज का चेहरा क्या है, ना जानती की स्त्री के दायरे क्या है, मेरे होने के आखिर मायने क्या है | ©Sonam kuril"

 स्त्री






 सोचती हुँ,इस जिंदगी के, मायने क्या है,
मेरे अपने,मुझे समझाते,मेरे दायरे क्या है,
हर वक़्त रहता एक सवाल ज़हन में,
 स्त्री होने के आखिर फायदे क्या है,
सोचती हुँ, इस जिंदगी के, मायने क्या है |

सूरज चढ़ता, दिन ढलता,
बस यूँ ही वक़्त सी मैं ढलती जाती,
कुछ ठहरा सा लगता है,
वो बस मेरे जज्बातों का दरिया है,
मैं रोज लगाती गोते जिसमें,
कभी हसती,कभी मैं रोती,
दिन रात मैं खुद से लड़ती रहती,
छोड़ दिया हमने जिनके लिए सपने अपने,
वो स्त्री के अहमियत क्यों नहीं समझते,
ना समझ सी मैं,
 ना जानती ये समाज का चेहरा क्या है,
ना जानती की स्त्री के दायरे क्या है,
मेरे होने के आखिर मायने क्या है |

©Sonam kuril

स्त्री सोचती हुँ,इस जिंदगी के, मायने क्या है, मेरे अपने,मुझे समझाते,मेरे दायरे क्या है, हर वक़्त रहता एक सवाल ज़हन में, स्त्री होने के आखिर फायदे क्या है, सोचती हुँ, इस जिंदगी के, मायने क्या है | सूरज चढ़ता, दिन ढलता, बस यूँ ही वक़्त सी मैं ढलती जाती, कुछ ठहरा सा लगता है, वो बस मेरे जज्बातों का दरिया है, मैं रोज लगाती गोते जिसमें, कभी हसती,कभी मैं रोती, दिन रात मैं खुद से लड़ती रहती, छोड़ दिया हमने जिनके लिए सपने अपने, वो स्त्री के अहमियत क्यों नहीं समझते, ना समझ सी मैं, ना जानती ये समाज का चेहरा क्या है, ना जानती की स्त्री के दायरे क्या है, मेरे होने के आखिर मायने क्या है | ©Sonam kuril

#मायने #mayne #jindgi #स्त्री #स्त्रीअस्तित्व #स्त्रीजीवन #Nojoto #hindi_poetry #Hindi #कविता

People who shared love close

More like this

Trending Topic