Meri Mati Mera Desh अपना दिन है अपनी रातें, लोग | हिंदी शायरी

"Meri Mati Mera Desh अपना दिन है अपनी रातें, लोग करेंगे ख़ुद की बातें, मिला उसे अपनाया हमने, छोड़ गए जो ख़ुद पछताते, कोई समय से बड़ा नहीं है, क्या लाए जो लेकर जाते, प्रेम और व्यवहार बनाकर, रखे जो सबसे सबको भाते, बैठ गए जो भाग्य भरोसे, कभी न पार नदी कर पाते, इंतज़ार कबतक करते हम, वक़्त के साथ नहीं चल पाते, शामिल ख़ुशियों को ना करते, 'गुंजन' मन ही मन अकुलाते, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra"

 Meri Mati Mera Desh अपना दिन है अपनी रातें, 
लोग  करेंगे  ख़ुद की बातें, 

मिला उसे अपनाया हमने, 
छोड़ गए जो ख़ुद पछताते, 

कोई समय से बड़ा नहीं है, 
क्या  लाए  जो लेकर जाते, 

प्रेम और व्यवहार बनाकर, 
रखे जो सबसे सबको भाते, 

बैठ  गए  जो  भाग्य भरोसे, 
कभी  न पार नदी कर पाते, 

इंतज़ार कबतक करते हम,
वक़्त के साथ नहीं चल पाते, 

शामिल ख़ुशियों को ना करते, 
'गुंजन' मन ही मन अकुलाते, 
 --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
        चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra

Meri Mati Mera Desh अपना दिन है अपनी रातें, लोग करेंगे ख़ुद की बातें, मिला उसे अपनाया हमने, छोड़ गए जो ख़ुद पछताते, कोई समय से बड़ा नहीं है, क्या लाए जो लेकर जाते, प्रेम और व्यवहार बनाकर, रखे जो सबसे सबको भाते, बैठ गए जो भाग्य भरोसे, कभी न पार नदी कर पाते, इंतज़ार कबतक करते हम, वक़्त के साथ नहीं चल पाते, शामिल ख़ुशियों को ना करते, 'गुंजन' मन ही मन अकुलाते, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra

#मन ही मन अकुलाते#

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