सफ़र में धूप तो होगी ही अगर चल सको तो चलो
भीड़ में तो सभी हैं लेकिन तुम भी निकल सको तो चलो
किसी के वास्ते ये राहें भी कहाँ बदलती हैं
तुम अपने आप को ख़ुद ही बदल सको तो बद लो
यहाँ पर हर किसी को कोई रास्ता नहीं देता
मुझे गिरा के अगर तुम सँभल सको तो सँभल लो
कहीं नहीं कोई सूरज धुआँ धुआँ है फ़ज़ा मे
ख़ुद अपने आप से बाहर निकल सको तो निकलकर चलो
यही है ज़िंदगी के कुछ ख़्वाब ही चंद उम्मीदें से
इन्हीं खिलौनों से तुम भी बहल सको तो बहल लो
©बेजुबान शायर shivkumar
#sad_dp #SAD
#सफ़र में धूप तो होगी ही अगर चल सको तो चलो
भीड़ में तो सभी हैं लेकिन तुम भी निकल सको तो चलो
किसी के #वास्ते ये राहें भी कहाँ बदलती हैं