लेकर बीती- बतिया, जागती थी वो सारी रतिया, भय की ढे | हिंदी Sad Video

"लेकर बीती- बतिया, जागती थी वो सारी रतिया, भय की ढेरों प्रतियां, सताती थी उसकी अंखिया, जोर जोर से चीखे भी उसे दिन अरसे हो चले थे, मौन मन के भीतर उसके आवाजे कितना गूंजे है, सब कहते है पन्नो पे बस दुख ही दुख लिखती हूं, किसे कहूं कि सुख में आते है साथ निभाने कुछ।। ~स्मृतकाव्य !! ....... ©smriti ki kalam se "

लेकर बीती- बतिया, जागती थी वो सारी रतिया, भय की ढेरों प्रतियां, सताती थी उसकी अंखिया, जोर जोर से चीखे भी उसे दिन अरसे हो चले थे, मौन मन के भीतर उसके आवाजे कितना गूंजे है, सब कहते है पन्नो पे बस दुख ही दुख लिखती हूं, किसे कहूं कि सुख में आते है साथ निभाने कुछ।। ~स्मृतकाव्य !! ....... ©smriti ki kalam se

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