जब हृदय ही!
जकड़ कर बांध लेवे मन के चैन को,
हृदय को अपने ना तुम इतनी छूट दो,
अड़ियल नही पर बनो न तुम फूल भी।
मोह अभिशाप है!
गुलाबी रिश्ते कटीले रस्ते मानो एक है,
झुकते झुकते मोह में, इतना न झुकना,
कि उसकी सीरत भी तुम भाप न पाओ।
ये सोच के कि,
जिसपे अबतक तुमने अपने प्रान बिखेरे है,
वो अड़ियल तुमको अब भी नही समझे है,
यूं आंसू न फैलाओ, उसे अब जाने भी दो।।
~स्मृतकाव्य !!
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©smriti ki kalam se
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