जब हृदय ही! जकड़ कर बांध लेवे मन के चैन को, हृदय क | हिंदी कविता

"जब हृदय ही! जकड़ कर बांध लेवे मन के चैन को, हृदय को अपने ना तुम इतनी छूट दो, अड़ियल नही पर बनो न तुम फूल भी। मोह अभिशाप है! गुलाबी रिश्ते कटीले रस्ते मानो एक है, झुकते झुकते मोह में, इतना न झुकना, कि उसकी सीरत भी तुम भाप न पाओ। ये सोच के कि, जिसपे अबतक तुमने अपने प्रान बिखेरे है, वो अड़ियल तुमको अब भी नही समझे है, यूं आंसू न फैलाओ, उसे अब जाने भी दो।। ~स्मृतकाव्य !! .. ©smriti ki kalam se"

 जब हृदय ही!
जकड़ कर बांध लेवे मन के चैन को,
हृदय को अपने ना तुम इतनी छूट दो,
अड़ियल नही पर बनो न तुम फूल भी।

मोह अभिशाप है!
गुलाबी रिश्ते कटीले रस्ते मानो एक है,
झुकते झुकते मोह में, इतना न झुकना,
कि उसकी सीरत भी तुम भाप न पाओ।

ये सोच के कि,
जिसपे अबतक तुमने अपने प्रान बिखेरे है,
वो अड़ियल तुमको अब भी नही समझे है,
यूं आंसू न फैलाओ, उसे अब जाने भी दो।।

~स्मृतकाव्य !!


































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©smriti ki kalam se

जब हृदय ही! जकड़ कर बांध लेवे मन के चैन को, हृदय को अपने ना तुम इतनी छूट दो, अड़ियल नही पर बनो न तुम फूल भी। मोह अभिशाप है! गुलाबी रिश्ते कटीले रस्ते मानो एक है, झुकते झुकते मोह में, इतना न झुकना, कि उसकी सीरत भी तुम भाप न पाओ। ये सोच के कि, जिसपे अबतक तुमने अपने प्रान बिखेरे है, वो अड़ियल तुमको अब भी नही समझे है, यूं आंसू न फैलाओ, उसे अब जाने भी दो।। ~स्मृतकाव्य !! .. ©smriti ki kalam se

#bekhudi

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