मैंने तो सोचा ही नहीं,बहुत दूर की तूने सच्चाई के क

"मैंने तो सोचा ही नहीं,बहुत दूर की तूने सच्चाई के करीब ही ला दिया किया ऐसा सलूक....मेरे साथ सम्पूर्ण प्रकृति को हिला दिया... क्या मिल गया तुझे मेरे सांसों कि लय को रोक कर... किसी की सांसों कि शुरुआत मेरी सांसों से होनी थी... मेरी भूल थी फकत ,ना समझ निकली मैं जो हो गया वो बस अनहोनी थी मेरी जिंदगी भी शायद तेरे काम आ जाएगी.... मेरी मौत से भी क्या तू संतुष्ट हो जाएगा... ओह मानव अपनी बुद्धि को चतुरता की बजाय, कुछ मेहनत में लगा लेते अपनी निर्ममता में थोड़ी मानवता जगा लेते... मैं कह नहीं पाया कभी... और कह भी नहीं पाऊंगा... बेजुबान हूं तुझे बस सहता ही जाऊंगा चल मेरी छोड़ ... अपनी कहानियों को देख तेरे हाथ,पैर,आंखे जुबां बुद्धि भी अब तक कुछ ना कर पाई है तेरी इन्हीं हरकतों से इस जहां में तबाही अायी है इस जहां में तबाही आयी है....."

 मैंने तो सोचा ही नहीं,बहुत दूर की
तूने सच्चाई के करीब ही ला दिया
किया ऐसा सलूक....मेरे साथ
सम्पूर्ण प्रकृति को हिला दिया...
क्या मिल गया तुझे 
मेरे सांसों कि लय को रोक कर...
किसी की सांसों कि शुरुआत 
मेरी सांसों से होनी थी...
मेरी भूल थी फकत ,ना समझ निकली मैं
जो हो गया वो बस अनहोनी थी
मेरी जिंदगी भी शायद तेरे काम आ जाएगी....
मेरी मौत से भी क्या तू संतुष्ट हो जाएगा...
ओह मानव अपनी बुद्धि  को
चतुरता की बजाय, कुछ मेहनत में लगा लेते
अपनी निर्ममता में
थोड़ी मानवता जगा लेते...
मैं कह नहीं पाया कभी...
 और कह भी नहीं पाऊंगा...
बेजुबान हूं 
तुझे बस सहता ही जाऊंगा
चल मेरी छोड़ ...
अपनी कहानियों को देख
तेरे हाथ,पैर,आंखे जुबां बुद्धि भी
अब तक कुछ ना कर पाई है
तेरी इन्हीं हरकतों 
से इस जहां में तबाही अायी है
इस जहां में तबाही आयी है.....

मैंने तो सोचा ही नहीं,बहुत दूर की तूने सच्चाई के करीब ही ला दिया किया ऐसा सलूक....मेरे साथ सम्पूर्ण प्रकृति को हिला दिया... क्या मिल गया तुझे मेरे सांसों कि लय को रोक कर... किसी की सांसों कि शुरुआत मेरी सांसों से होनी थी... मेरी भूल थी फकत ,ना समझ निकली मैं जो हो गया वो बस अनहोनी थी मेरी जिंदगी भी शायद तेरे काम आ जाएगी.... मेरी मौत से भी क्या तू संतुष्ट हो जाएगा... ओह मानव अपनी बुद्धि को चतुरता की बजाय, कुछ मेहनत में लगा लेते अपनी निर्ममता में थोड़ी मानवता जगा लेते... मैं कह नहीं पाया कभी... और कह भी नहीं पाऊंगा... बेजुबान हूं तुझे बस सहता ही जाऊंगा चल मेरी छोड़ ... अपनी कहानियों को देख तेरे हाथ,पैर,आंखे जुबां बुद्धि भी अब तक कुछ ना कर पाई है तेरी इन्हीं हरकतों से इस जहां में तबाही अायी है इस जहां में तबाही आयी है.....

#RIPHUMANITY

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