Mona Soni

Mona Soni Lives in Raipur, Chhattisgarh, India

Basically Graphics disigner, animator. writing is my passion.

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विलुप्त हो चुकी परछाई काश उसे में छू पाती मेरे अस्तित्व के करीगर को कुछ अपने दिल की कह पाती जिसने अपने संस्कारो से मुझे सींच कर वक्त के आगे निकल गए पलट कर देख नहीं पाए उन्हें उनकी परछाई की ईमानदारी की मिशाल दे पाती जिन रिश्तों में पल कर सबका प्यार पाना था उन्हीं रिश्तों को प्यार दे कर आज भी यही खड़ी हूं ये दिखा पाती कभी कुछ मांगा नहीं बस सबके लिए करना सीखा क्या नहीं कर पाई ये तुमसे पूछ पाती कच्ची उम्र में ही पक्के वचनों से बंध गई मैं, इसमें ओर क्या कमी थी ये जान पाती मैंने क्या किया क्या सहा क्या कुछ कहना चाहती हूं शायद तुम्हे समझा पाती है मेरे भी कुछ मायने मेरे अस्तित्व पर तुम्हारे अमिट हस्ताक्षर करवा पाती... किसी की क्या हूं पता नहीं पापा पर तुम्हारी हूं ये तुम्हारे मुंह से सुन पाती....

#अनुभव #LoveYouDad  विलुप्त हो चुकी परछाई
काश उसे में छू पाती
मेरे अस्तित्व के करीगर को
कुछ अपने दिल की कह पाती

जिसने अपने संस्कारो से मुझे सींच कर वक्त के आगे निकल गए
पलट कर देख नहीं पाए

उन्हें  उनकी परछाई की ईमानदारी की मिशाल दे पाती

जिन रिश्तों में पल कर सबका प्यार पाना था
उन्हीं रिश्तों को प्यार दे कर 
आज भी यही खड़ी हूं
ये दिखा पाती
कभी कुछ मांगा नहीं
बस सबके लिए करना सीखा
क्या नहीं कर पाई 
ये तुमसे पूछ पाती
कच्ची उम्र में  ही पक्के वचनों से बंध गई मैं,
इसमें ओर क्या कमी थी ये जान पाती
मैंने क्या किया
क्या सहा
क्या कुछ कहना चाहती हूं
शायद तुम्हे समझा पाती

है मेरे भी कुछ मायने
मेरे अस्तित्व पर तुम्हारे  अमिट हस्ताक्षर
करवा पाती...

किसी की क्या हूं पता नहीं पापा
पर तुम्हारी हूं 
ये तुम्हारे मुंह से सुन पाती....

#LoveYouDad

12 Love

मैंने तो सोचा ही नहीं,बहुत दूर की तूने सच्चाई के करीब ही ला दिया किया ऐसा सलूक....मेरे साथ सम्पूर्ण प्रकृति को हिला दिया... क्या मिल गया तुझे मेरे सांसों कि लय को रोक कर... किसी की सांसों कि शुरुआत मेरी सांसों से होनी थी... मेरी भूल थी फकत ,ना समझ निकली मैं जो हो गया वो बस अनहोनी थी मेरी जिंदगी भी शायद तेरे काम आ जाएगी.... मेरी मौत से भी क्या तू संतुष्ट हो जाएगा... ओह मानव अपनी बुद्धि को चतुरता की बजाय, कुछ मेहनत में लगा लेते अपनी निर्ममता में थोड़ी मानवता जगा लेते... मैं कह नहीं पाया कभी... और कह भी नहीं पाऊंगा... बेजुबान हूं तुझे बस सहता ही जाऊंगा चल मेरी छोड़ ... अपनी कहानियों को देख तेरे हाथ,पैर,आंखे जुबां बुद्धि भी अब तक कुछ ना कर पाई है तेरी इन्हीं हरकतों से इस जहां में तबाही अायी है इस जहां में तबाही आयी है.....

#RIPHUMANITY #बात  मैंने तो सोचा ही नहीं,बहुत दूर की
तूने सच्चाई के करीब ही ला दिया
किया ऐसा सलूक....मेरे साथ
सम्पूर्ण प्रकृति को हिला दिया...
क्या मिल गया तुझे 
मेरे सांसों कि लय को रोक कर...
किसी की सांसों कि शुरुआत 
मेरी सांसों से होनी थी...
मेरी भूल थी फकत ,ना समझ निकली मैं
जो हो गया वो बस अनहोनी थी
मेरी जिंदगी भी शायद तेरे काम आ जाएगी....
मेरी मौत से भी क्या तू संतुष्ट हो जाएगा...
ओह मानव अपनी बुद्धि  को
चतुरता की बजाय, कुछ मेहनत में लगा लेते
अपनी निर्ममता में
थोड़ी मानवता जगा लेते...
मैं कह नहीं पाया कभी...
 और कह भी नहीं पाऊंगा...
बेजुबान हूं 
तुझे बस सहता ही जाऊंगा
चल मेरी छोड़ ...
अपनी कहानियों को देख
तेरे हाथ,पैर,आंखे जुबां बुद्धि भी
अब तक कुछ ना कर पाई है
तेरी इन्हीं हरकतों 
से इस जहां में तबाही अायी है
इस जहां में तबाही आयी है.....

#RIPHUMANITY

13 Love

बरगद से मेरे पिता ,और ठंडी छांव सी मेरी मां का साया मैं ही नहीं, ये फसाना हर शख्स ने है गाया जब जब बचपन कि बेफिक्री मनमौजी हो कर जीना याद आता है हर एक शख्स ये फसाना दोहराता है किसी की पुकार से खुलती आंखे रसोई की खुशबू से होने वाला इंतजार दोस्त यारो का आना जाना और अपनी जरूरतों की लिस्ट मां के हाथ में थमाना क्या दिन थे वो,क्या खूब था वो जमाना बेफिक्र सी सुबह और सुकून कि रात का आना अपने कपड़ों को मां से धुलवाना और जरूरतों को याद दिलाना एक बच्चा जीता है इसी सोच में के उसके मां बाप है कोई ख़ज़ाना वक्त बीत जाता है उम्र बढ़ जाती है जरुरते जब खुद से पूरी करे तो मां बाप से दूरियां बढ़ जाती है बड़ी किस्मत वाले है जिनके मां बाप उनके साथ है और औलाद का हाथो में हाथ है ये दुनियां ,ये दुनियादार ये संबंध ये वफादारी सीखा के जो जीना सिखाते है पता नहीं क्यूं सपनो की दुनिया हमसे छीन कर चले जाते है सारे ख्वाब धराशाई हो जाते है बरगद की छांव बड़ी शीतल होती है इस छांव के जैसे जिंदगी क्यूं नहीं होती है दुनियां की खूबसूरती को जो पिता की आंखो से देखा वो अब नजर नहीं आती दे दी है सारे कर्तव्यो की पोटली पर मेरी मां अब नजर नहीं आती...

#अनुभव  बरगद से मेरे पिता ,और ठंडी छांव सी मेरी मां का साया
मैं ही नहीं, ये फसाना हर शख्स ने है गाया
जब जब बचपन कि बेफिक्री
मनमौजी हो कर जीना
याद आता है
हर एक शख्स  ये फसाना
दोहराता है
किसी की पुकार से खुलती आंखे
रसोई की खुशबू से होने वाला इंतजार
दोस्त यारो का आना जाना
और अपनी जरूरतों की लिस्ट
मां के हाथ में थमाना
क्या दिन थे वो,क्या खूब था वो जमाना
बेफिक्र सी सुबह
और सुकून कि रात का आना
अपने कपड़ों को मां से धुलवाना
और जरूरतों को याद दिलाना
एक बच्चा जीता है इसी सोच में
के उसके मां बाप है कोई ख़ज़ाना
वक्त बीत जाता है
उम्र बढ़ जाती है
जरुरते जब खुद से पूरी करे 
तो मां बाप से दूरियां बढ़ जाती है
बड़ी किस्मत वाले है
जिनके मां बाप उनके साथ है
और औलाद का हाथो में हाथ है
ये दुनियां ,ये दुनियादार
ये संबंध ये वफादारी
सीखा के जो जीना सिखाते है
पता नहीं क्यूं सपनो की दुनिया 
हमसे छीन कर चले जाते है
सारे ख्वाब धराशाई हो जाते है
बरगद की छांव बड़ी शीतल होती है
इस छांव के जैसे जिंदगी क्यूं नहीं होती है
दुनियां की खूबसूरती को
जो  पिता की आंखो से देखा
वो अब नजर नहीं आती
दे दी है सारे कर्तव्यो की पोटली
पर मेरी मां अब नजर नहीं आती...

बरगद से मेरे पिता ,और ठंडी छांव सी मेरी मां का साया मैं ही नहीं, ये फसाना हर शख्स ने है गाया जब जब बचपन कि बेफिक्री मनमौजी हो कर जीना याद आता है हर एक शख्स ये फसाना दोहराता है किसी की पुकार से खुलती आंखे रसोई की खुशबू से होने वाला इंतजार दोस्त यारो का आना जाना और अपनी जरूरतों की लिस्ट मां के हाथ में थमाना क्या दिन थे वो,क्या खूब था वो जमाना बेफिक्र सी सुबह और सुकून कि रात का आना अपने कपड़ों को मां से धुलवाना और जरूरतों को याद दिलाना एक बच्चा जीता है इसी सोच में के उसके मां बाप है कोई ख़ज़ाना वक्त बीत जाता है उम्र बढ़ जाती है जरुरते जब खुद से पूरी करे तो मां बाप से दूरियां बढ़ जाती है बड़ी किस्मत वाले है जिनके मां बाप उनके साथ है और औलाद का हाथो में हाथ है ये दुनियां ,ये दुनियादार ये संबंध ये वफादारी सीखा के जो जीना सिखाते है पता नहीं क्यूं सपनो की दुनिया हमसे छीन कर चले जाते है सारे ख्वाब धराशाई हो जाते है बरगद की छांव बड़ी शीतल होती है इस छांव के जैसे जिंदगी क्यूं नहीं होती है दुनियां की खूबसूरती को जो पिता की आंखो से देखा वो अब नजर नहीं आती दे दी है सारे कर्तव्यो की पोटली पर मेरी मां अब नजर नहीं आती...

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बरगद से मेरे पिता ,और ठंडी छांव सी मेरी मां का साया मैं ही नहीं, ये फसाना हर शख्स ने है गाया जब जब बचपन कि बेफिक्री मनमौजी हो कर जीना याद आता है हर एक शख्स ये फसाना दोहराता है किसी की पुकार से खुलती आंखे रसोई की खुशबू से होने वाला इंतजार दोस्त यारो का आना जाना और अपनी जरूरतों की लिस्ट मां के हाथ में थमाना क्या दिन थे वो,क्या खूब था वो जमाना बेफिक्र सी सुबह और सुकून कि रात का आना अपने कपड़ों को मां से धुलवाना और जरूरतों को याद दिलाना एक बच्चा जीता है इसी सोच में के उसके मां बाप है कोई ख़ज़ाना वक्त बीत जाता है उम्र बढ़ जाती है जरुरते जब खुद से पूरी करे तो मां बाप से दूरियां बढ़ जाती है बड़ी किस्मत वाले है जिनके मां बाप उनके साथ है और औलाद का हाथो में हाथ है ये दुनियां ,ये दुनियादार ये संबंध ये वफादारी सीखा के जो जीना सिखाते है पता नहीं क्यूं सपनो की दुनिया हमसे छीन कर चले जाते है सारे ख्वाब धराशाई हो जाते है बरगद की छांव बड़ी शीतल होती है इस छांव के जैसे जिंदगी क्यूं नहीं होती है दुनियां की खूबसूरती को जो पिता की आंखो से देखा वो अब नजर नहीं आती दे दी है सारे कर्तव्यो की पोटली पर मेरी मां अब नजर नहीं आती...

#अनुभव #Mother  बरगद से मेरे पिता ,और ठंडी छांव सी मेरी मां का साया
मैं ही नहीं, ये फसाना हर शख्स ने है गाया
जब जब बचपन कि बेफिक्री
मनमौजी हो कर जीना
याद आता है
हर एक शख्स  ये फसाना
दोहराता है
किसी की पुकार से खुलती आंखे
रसोई की खुशबू से होने वाला इंतजार
दोस्त यारो का आना जाना
और अपनी जरूरतों की लिस्ट
मां के हाथ में थमाना
क्या दिन थे वो,क्या खूब था वो जमाना
बेफिक्र सी सुबह
और सुकून कि रात का आना
अपने कपड़ों को मां से धुलवाना
और जरूरतों को याद दिलाना
एक बच्चा जीता है इसी सोच में
के उसके मां बाप है कोई ख़ज़ाना
वक्त बीत जाता है
उम्र बढ़ जाती है
जरुरते जब खुद से पूरी करे 
तो मां बाप से दूरियां बढ़ जाती है
बड़ी किस्मत वाले है
जिनके मां बाप उनके साथ है
और औलाद का हाथो में हाथ है
ये दुनियां ,ये दुनियादार
ये संबंध ये वफादारी
सीखा के जो जीना सिखाते है
पता नहीं क्यूं सपनो की दुनिया 
हमसे छीन कर चले जाते है
सारे ख्वाब धराशाई हो जाते है
बरगद की छांव बड़ी शीतल होती है
इस छांव के जैसे जिंदगी क्यूं नहीं होती है
दुनियां की खूबसूरती को
जो  पिता की आंखो से देखा
वो अब नजर नहीं आती
दे दी है सारे कर्तव्यो की पोटली
पर मेरी मां अब नजर नहीं आती...

#Mother's day#nojoto#nojotohindi

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बरगद से मेरे पिता ,और ठंडी छांव सी मेरी मां का साया मैं ही नहीं, ये फसाना हर शख्स ने है गाया जब जब बचपन कि बेफिक्री मनमौजी हो कर जीना याद आता है हर एक शख्स ये फसाना दोहराता है किसी की पुकार से खुलती आंखे रसोई की खुशबू से होने वाला इंतजार दोस्त यारो का आना जाना और अपनी जरूरतों की लिस्ट मां के हाथ में थमाना क्या दिन थे वो,क्या खूब था वो जमाना बेफिक्र सी सुबह और सुकून कि रात का आना अपने कपड़ों को मां से धुलवाना और जरूरतों को याद दिलाना एक बच्चा जीता है इसी सोच में के उसके मां बाप है कोई ख़ज़ाना वक्त बीत जाता है उम्र बढ़ जाती है जरुरते जब खुद से पूरी करे तो मां बाप से दूरियां बढ़ जाती है बड़ी किस्मत वाले है जिनके मां बाप उनके साथ है और औलाद का हाथो में हाथ है ये दुनियां ,ये दुनियादार ये संबंध ये वफादारी सीखा के जो जीना सिखाते है पता नहीं क्यूं सपनो की दुनिया हमसे छीन कर चले जाते है सारे ख्वाब धराशाई हो जाते है बरगद की छांव बड़ी शीतल होती है इस छांव के जैसे जिंदगी क्यूं नहीं होती है दुनियां की खूबसूरती को जो पिता की आंखो से देखा वो अब नजर नहीं आती दे दी है सारे कर्तव्यो की पोटली पर मेरी मां अब नजर नहीं आती...

#अनुभव #nojotohindi #MothersDay #specialday  बरगद से मेरे पिता ,और ठंडी छांव सी मेरी मां का साया
मैं ही नहीं, ये फसाना हर शख्स ने है गाया
जब जब बचपन कि बेफिक्री
मनमौजी हो कर जीना
याद आता है
हर एक शख्स  ये फसाना
दोहराता है
किसी की पुकार से खुलती आंखे
रसोई की खुशबू से होने वाला इंतजार
दोस्त यारो का आना जाना
और अपनी जरूरतों की लिस्ट
मां के हाथ में थमाना
क्या दिन थे वो,क्या खूब था वो जमाना
बेफिक्र सी सुबह
और सुकून कि रात का आना
अपने कपड़ों को मां से धुलवाना
और जरूरतों को याद दिलाना
एक बच्चा जीता है इसी सोच में
के उसके मां बाप है कोई ख़ज़ाना
वक्त बीत जाता है
उम्र बढ़ जाती है
जरुरते जब खुद से पूरी करे 
तो मां बाप से दूरियां बढ़ जाती है
बड़ी किस्मत वाले है
जिनके मां बाप उनके साथ है
और औलाद का हाथो में हाथ है
ये दुनियां ,ये दुनियादार
ये संबंध ये वफादारी
सीखा के जो जीना सिखाते है
पता नहीं क्यूं सपनो की दुनिया 
हमसे छीन कर चले जाते है
सारे ख्वाब धराशाई हो जाते है
बरगद की छांव बड़ी शीतल होती है
इस छांव के जैसे जिंदगी क्यूं नहीं होती है
दुनियां की खूबसूरती को
जो  पिता की आंखो से देखा
वो अब नजर नहीं आती
दे दी है सारे कर्तव्यो की पोटली
पर मेरी मां अब नजर नहीं आती...

Mona soni

#बात  Mona soni

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