सुख मेरा कांच सा था.... न जाने कितनों को चुभ गया। | हिंदी शायरी Video

"सुख मेरा कांच सा था.... न जाने कितनों को चुभ गया। दुःख मेरा मोम सा था.... जाने कितनों को ले पिघल गया। 🍁🍁🍁 ©Neel "

सुख मेरा कांच सा था.... न जाने कितनों को चुभ गया। दुःख मेरा मोम सा था.... जाने कितनों को ले पिघल गया। 🍁🍁🍁 ©Neel

सुख और दुःख 🍁

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