पांच विचित्रों की टोली जिसमें मां सबसे अलग और भोली | हिंदी कविता

"पांच विचित्रों की टोली जिसमें मां सबसे अलग और भोली पापाजी बहुत ही ख़ास कोशिश करते रहने को बिंदास पर उनपे दो दो जिम्मेदारियां जिनको निभाते कभी मां बनकर तो कभी बाप बनकर हैं दो छोटे भाई अरे अरे पंगा हो जाएगा अगर मैं कुछ बोली मेरी फेमिली पांच विचित्रों की टोली मेरे बारे में मैं ही क्या बोलूं दिखती हूं मासूम पर हूं नहीं थोड़ी नटखट थोड़ी सयानी पर हूं नहीं बिल्कुल भी भोली हमारी फैमिली पांच विचित्रों की टोली - अर्चना साव"

 पांच विचित्रों की टोली
जिसमें मां सबसे अलग और भोली
पापाजी बहुत ही ख़ास 
कोशिश करते रहने को बिंदास
पर उनपे दो दो जिम्मेदारियां 
जिनको निभाते कभी मां बनकर तो कभी बाप बनकर
हैं दो छोटे भाई 
अरे अरे पंगा हो जाएगा अगर मैं कुछ बोली
मेरी फेमिली पांच विचित्रों की टोली
मेरे बारे में मैं ही क्या बोलूं
दिखती हूं मासूम पर हूं नहीं
थोड़ी नटखट थोड़ी सयानी 
पर हूं नहीं बिल्कुल भी भोली
हमारी फैमिली पांच विचित्रों की टोली
- अर्चना साव

पांच विचित्रों की टोली जिसमें मां सबसे अलग और भोली पापाजी बहुत ही ख़ास कोशिश करते रहने को बिंदास पर उनपे दो दो जिम्मेदारियां जिनको निभाते कभी मां बनकर तो कभी बाप बनकर हैं दो छोटे भाई अरे अरे पंगा हो जाएगा अगर मैं कुछ बोली मेरी फेमिली पांच विचित्रों की टोली मेरे बारे में मैं ही क्या बोलूं दिखती हूं मासूम पर हूं नहीं थोड़ी नटखट थोड़ी सयानी पर हूं नहीं बिल्कुल भी भोली हमारी फैमिली पांच विचित्रों की टोली - अर्चना साव

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