बीते दिनों की सोच, कभी हतास न होना
आज रात है तो कल दिन ,क्षण-क्षण परिवर्तनशील
कल की सोच आज व्यकुलित न होना
बोध नहीं पल के बाद पल क्या होगा
खुशियों से भरा या, दुखों से भरा कल होगा
पल में हो उत्साहित पल में, हत्तोसाहित न होना
लक्ष्य पथ पे अविरल गतिशील होना,
मुश्किल क्षणों में हिम्मत कभी न खोना
सुन अनगर्ल-बेतूके बातों से, कभी उदास न होना
पांच विचित्रों की टोली
जिसमें मां सबसे अलग और भोली
पापाजी बहुत ही ख़ास
कोशिश करते रहने को बिंदास
पर उनपे दो दो जिम्मेदारियां
जिनको निभाते कभी मां बनकर तो कभी बाप बनकर
हैं दो छोटे भाई
अरे अरे पंगा हो जाएगा अगर मैं कुछ बोली
मेरी फेमिली पांच विचित्रों की टोली
मेरे बारे में मैं ही क्या बोलूं
दिखती हूं मासूम पर हूं नहीं
थोड़ी नटखट थोड़ी सयानी
पर हूं नहीं बिल्कुल भी भोली
हमारी फैमिली पांच विचित्रों की टोली
- अर्चना साव
थाम के मेरा हाथ
करो न चिंता छोड़ूंगी न साथ
हां मैं बिटिया हूं बेटा नहीं
है हौसला मुझमें भी
बेटों से थोड़ा कम सही
है नहीं हौसला की यूहीं छोड़ दूं
जीवन के चरम पथ पे मुंह मोड़ दूं
हां मैं बिटिया हूं बेटा नहीं
पर थाम हाथ जरुर सकती हूं
जिसने मुझे संभलने तक सम्भाला
बराबर तो नहीं पर सम्भाल ज़रूर सकती हूं
चलो मेरे साथ
थाम मेरा हाथ
आपने भी जागे हैं कई कई रात
ताकि बिटिया सोए चैन के साथ
करो न चिंता छोड़ूंगी न साथ
चलो मेरे साथ...
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