तलब ऐसी है तुम्हारी कि, बाहों में समेट लूं . नफ़ | हिंदी Sad

"तलब ऐसी है तुम्हारी कि, बाहों में समेट लूं . नफ़रत ऐसी है तुमसे, कभी देख न सकूं. ©Arijit Divedi"

 तलब ऐसी है तुम्हारी कि,
 बाहों में समेट लूं .

नफ़रत ऐसी है तुमसे,
कभी देख न सकूं.

©Arijit Divedi

तलब ऐसी है तुम्हारी कि, बाहों में समेट लूं . नफ़रत ऐसी है तुमसे, कभी देख न सकूं. ©Arijit Divedi

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