अगुण अनर्थ अज्ञान फल-कामी, हर मानव की यही कहानी। | हिंदी शायरी

"अगुण अनर्थ अज्ञान फल-कामी, हर मानव की यही कहानी। श्यामा श्यामा रटते सब हैं, श्याम व्यथा को सुनते कब हैं। कथा कहानी प्रसंग सब लेखा, भाव को भजकर किसने देखा। जो निश्छल है निष्काम भी है, यदि श्यामा हैं तो श्याम भी है। ©kahanikar"

 अगुण अनर्थ अज्ञान फल-कामी, 
हर मानव की यही कहानी। 

श्यामा श्यामा रटते सब हैं, 
श्याम व्यथा को सुनते कब हैं। 

कथा कहानी प्रसंग सब लेखा, 
भाव को भजकर किसने देखा। 

जो निश्छल है निष्काम भी है, 
यदि श्यामा हैं तो श्याम भी है।

©kahanikar

अगुण अनर्थ अज्ञान फल-कामी, हर मानव की यही कहानी। श्यामा श्यामा रटते सब हैं, श्याम व्यथा को सुनते कब हैं। कथा कहानी प्रसंग सब लेखा, भाव को भजकर किसने देखा। जो निश्छल है निष्काम भी है, यदि श्यामा हैं तो श्याम भी है। ©kahanikar

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