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अगुण अनर्थ अज्ञान फल-कामी, हर मानव की यही कहानी। श्यामा श्यामा रटते सब हैं, श्याम व्यथा को सुनते कब हैं। कथा कहानी प्रसंग सब लेखा, भाव को भजकर किसने देखा। जो निश्छल है निष्काम भी है, यदि श्यामा हैं तो श्याम भी है। ©kahanikar

#शायरी  अगुण अनर्थ अज्ञान फल-कामी, 
हर मानव की यही कहानी। 

श्यामा श्यामा रटते सब हैं, 
श्याम व्यथा को सुनते कब हैं। 

कथा कहानी प्रसंग सब लेखा, 
भाव को भजकर किसने देखा। 

जो निश्छल है निष्काम भी है, 
यदि श्यामा हैं तो श्याम भी है।

©kahanikar

अगुण अनर्थ अज्ञान फल-कामी, हर मानव की यही कहानी। श्यामा श्यामा रटते सब हैं, श्याम व्यथा को सुनते कब हैं। कथा कहानी प्रसंग सब लेखा, भाव को भजकर किसने देखा। जो निश्छल है निष्काम भी है, यदि श्यामा हैं तो श्याम भी है। ©kahanikar

8 Love

आदि अनादि अनंत सब जाना, तुम बिन प्रेम अर्थ नहीं आना। मैं विभव विषम विरक्त सा प्राणी, तुम ईश्वर की कोमल वाणी। तुम से चलकर तुममें आना, भजन का सत्व परम गति पाना। ©kahanikar

#ज़िन्दगी  आदि अनादि अनंत सब जाना, 
तुम बिन प्रेम अर्थ नहीं आना। 

मैं विभव विषम विरक्त सा प्राणी, 
तुम ईश्वर की कोमल वाणी।

तुम से चलकर तुममें आना, 
भजन का सत्व परम गति पाना।

©kahanikar

bhag 2

9 Love

मैं अजड़ अजान अबोध पथ राही, तुम केवल सत्य की स्याही। मैं हूँ विचल व्यर्थ अज्ञानी, तुम गंगा का निर्मल पानी। व्यर्थ अनर्थ विचल है सब कुछ, बिन तेरे निर-अर्थ है सब कुछ। ©kahanikar

#ज़िन्दगी  मैं अजड़ अजान अबोध पथ राही,
तुम केवल सत्य की स्याही। 

मैं हूँ विचल व्यर्थ अज्ञानी, 
तुम गंगा का निर्मल पानी। 

व्यर्थ अनर्थ विचल है सब कुछ, 
बिन तेरे निर-अर्थ है सब कुछ।

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bhag 1

11 Love

मैंने लफ्ज़ चुने कुछ, कई ख्यालों को उनमें बुनना चाहा। मैने लबों से किताबें पढ़ी, कहानियों को आंखो से सुनना चाहा। मैंने अनुभव लाखों जोड़े, उन्हें मन के चरखे से धुनना चाहा। मैने ईट, पत्थर फेंक दिए, ख्वाबों के रेशम से घर बुनना चाहा। मैंने रूहों का सफ़र किया, प्यास को नूर से मिटाना चाहा। जो भाव मेरे शब्द कह न सकें, उन्हें आंखों ने बताना चाहा। मैंने लहरों पर चलकर सफ़र किया, हाथों से आग पर चलना चाहा। मैंने बारिश में अपना जिस्म भिगोया, रूतों को आहट से बदलना चाहा। पत्थरों पर फूल खिले, कश्ती ने किनारा बदलना चाहा। उसका आना कुछ ऐसा था, शूमेघ ने उठकर संभालना चाहा। ©kahanikar

#GateLight  मैंने लफ्ज़ चुने कुछ,
कई ख्यालों को उनमें बुनना चाहा।
मैने लबों से किताबें पढ़ी,
कहानियों को आंखो से सुनना चाहा।

मैंने अनुभव लाखों जोड़े,
उन्हें मन के चरखे से धुनना चाहा।
मैने ईट, पत्थर फेंक दिए,
ख्वाबों के रेशम से घर बुनना चाहा।

मैंने रूहों का सफ़र किया,
प्यास को नूर से मिटाना चाहा।
जो भाव मेरे शब्द कह न सकें,
उन्हें आंखों ने बताना चाहा।

मैंने लहरों पर चलकर सफ़र किया,
हाथों से आग पर चलना चाहा।
मैंने बारिश में अपना जिस्म भिगोया,
रूतों को आहट से बदलना चाहा।

पत्थरों पर फूल खिले,
कश्ती ने किनारा बदलना चाहा।
उसका आना कुछ ऐसा था,
शूमेघ ने उठकर संभालना चाहा।

©kahanikar

#GateLight

13 Love

देखोे सावन आया है... जमीं अभी नम है, सावन यूँ झूमकर आया है। पत्तों पर बुँदे ऐसी है, जैसे प्रियतम ने गले लगाया है। बिजली की गर्जन ने मानो, कोई कोमल गीत सुनाया है। बूंदों की टिप-टिप ने इनका, क्या खूब साथ निभाया है। हवाओं ने रुख बदल दिया, सूरज भी अब भर्माया है। धरती ने आँचल खोला है, रुतों ने शभनम् को पाया है। सड़कें भी अब वीरान है, कोई सम्राट युध् से आया है। पंछीयों का गुंजन कह रहा, देखो सावन आया है। ©kahanikar

#शायरी #rain  देखोे सावन आया है... 

जमीं अभी नम है, 
सावन यूँ झूमकर आया है। 
पत्तों पर बुँदे ऐसी है, 
जैसे प्रियतम ने गले लगाया है। 

बिजली की गर्जन ने मानो, 
कोई कोमल गीत सुनाया है। 
बूंदों की टिप-टिप ने इनका, 
क्या खूब साथ निभाया है। 

हवाओं ने रुख बदल दिया, 
सूरज भी अब भर्माया है। 
धरती ने आँचल खोला है, 
रुतों ने शभनम् को पाया है। 

सड़कें भी अब वीरान है, 
कोई सम्राट युध् से आया है। 
पंछीयों का गुंजन कह रहा, 
देखो सावन आया है।

©kahanikar

#rain

8 Love

हमें तेरी बातों से इश्क़ था, तुमने बातें बदल दी। हमें तेरे ख्वाबों से इश्क़ था, तुमने अपनी रातें बदल दी। तेरे आहटों से तुझे पहचान लेता था, तेरे खुशबु से तुझे जान लेता था। जब मशहूर थी तुम बेवफाई के बाजार में, मैं तब भी तेरी बातों को सच मान लेता था। मैं सच्चाई जनता था, पर उसके झूट से प्यार था। मैं उसको झूठा कहता भी तो कैसे, वो झूठा होने से पहले मेरा यार था। ©kahanikar

#walkingalone  हमें तेरी बातों से इश्क़ था, 
तुमने बातें बदल दी। 
हमें तेरे ख्वाबों से इश्क़ था, 
तुमने अपनी रातें बदल दी। 


तेरे आहटों से तुझे पहचान लेता था,
तेरे खुशबु से तुझे जान लेता था। 
जब मशहूर थी तुम बेवफाई के बाजार में,
मैं तब भी तेरी बातों को सच मान लेता था। 

मैं सच्चाई जनता था,
पर उसके झूट से प्यार था। 
मैं उसको झूठा कहता भी तो कैसे,
वो झूठा होने से पहले मेरा यार था।

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#walkingalone

12 Love

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