जज्बातों जिस्त,
इक दिन;
मैंने हर लम्हा इस ख्याल में निकाल दिया!
के कमी क्या रह जाती है किसी के प्यार में?
जो वो दोनों एक होकर भी एक नहीं हो पाते।
ख़यालो से थोड़ा उभरे ही थे के देखा चांद डूब रहा था,
और एक लाल रोशनी ने चांदनी का दम घों ट डाला।
प्रज्ञा ✍️
#Night