शीर्षक- अब नहीं वो वैसे, कि मिले उनसे हँसकर ------ | हिंदी कविता

"शीर्षक- अब नहीं वो वैसे, कि मिले उनसे हँसकर ---------------------------------------------------------------- अब नहीं वो वैसे, कि मिले उनसे हँसकर। करें बातें दिल की, हम उनसे मिलकर।। अब नहीं वो वैसे -----------------------।। देखते नहीं अब वो, तस्वीर पुरानी अपनी। लगती नहीं है अच्छी, कहानी पुरानी अपनी।। आता है गुस्सा उनको, अब हमें देखकर। अब नहीं वो वैसे -----------------------।। पसंद नहीं उनको, मुफ़लिसों से हाथ मिलाना। अपने बचपन के यारों को, गले अपने लगाना।। होती है उनको नफरत, चिट्ठियां हमारी पढ़कर। अब नहीं वो वैसे -------------------------।। बहुत मुश्किल है तोड़ना, उनके पहरे को। करीब जाकर छूना, अब उनके सेहरे को।। नहीं बिसात अपनी, कहे कुछ उनसे खुलकर। अब नहीं वो वैसे ------------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma"

 शीर्षक- अब नहीं वो वैसे, कि मिले उनसे हँसकर
----------------------------------------------------------------
अब नहीं वो वैसे, कि मिले उनसे हँसकर।
करें बातें दिल की, हम उनसे मिलकर।।
अब नहीं वो वैसे -----------------------।।

देखते नहीं अब वो, तस्वीर पुरानी अपनी।
लगती नहीं है अच्छी, कहानी पुरानी अपनी।।
आता है गुस्सा उनको, अब हमें देखकर।
अब नहीं वो वैसे -----------------------।।

पसंद नहीं उनको, मुफ़लिसों से हाथ मिलाना।
अपने बचपन के यारों को, गले अपने लगाना।।
होती है उनको नफरत, चिट्ठियां हमारी पढ़कर।
अब नहीं वो वैसे -------------------------।।

बहुत मुश्किल है तोड़ना, उनके पहरे को।
करीब जाकर छूना, अब उनके सेहरे को।।
नहीं बिसात अपनी, कहे कुछ उनसे खुलकर।
अब नहीं वो वैसे ------------------------।।





शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma

शीर्षक- अब नहीं वो वैसे, कि मिले उनसे हँसकर ---------------------------------------------------------------- अब नहीं वो वैसे, कि मिले उनसे हँसकर। करें बातें दिल की, हम उनसे मिलकर।। अब नहीं वो वैसे -----------------------।। देखते नहीं अब वो, तस्वीर पुरानी अपनी। लगती नहीं है अच्छी, कहानी पुरानी अपनी।। आता है गुस्सा उनको, अब हमें देखकर। अब नहीं वो वैसे -----------------------।। पसंद नहीं उनको, मुफ़लिसों से हाथ मिलाना। अपने बचपन के यारों को, गले अपने लगाना।। होती है उनको नफरत, चिट्ठियां हमारी पढ़कर। अब नहीं वो वैसे -------------------------।। बहुत मुश्किल है तोड़ना, उनके पहरे को। करीब जाकर छूना, अब उनके सेहरे को।। नहीं बिसात अपनी, कहे कुछ उनसे खुलकर। अब नहीं वो वैसे ------------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma

#गीतकार

People who shared love close

More like this

Trending Topic