चाय जैसे हो तुम मिलते ही सुकून दे जाते हो। पानी ज | हिंदी कविता

"चाय जैसे हो तुम मिलते ही सुकून दे जाते हो। पानी जैसे शांत से नजर आते हो। चाय-पती की तरह अपनी बातों से माहौल में एक नया रंग लाते हो। चीनी की तरफ अपनी बातों से मिठास खोल जाते हो। इलायची की तरफ मेरी ज़िंदगी को अपने साथ से महकाते हो। दूध बन कर मेरे गुस्से के उबाल को शांत कर जाते हो। तो सच मे चाय से हो तुम मिलते ही सुकून दे जाते हो। ©Nidhi Dhankhar"

 चाय जैसे हो तुम 
मिलते ही सुकून दे जाते हो।
पानी जैसे
शांत से नजर आते हो। 
चाय-पती की तरह
अपनी बातों से माहौल में एक नया रंग लाते हो।
चीनी की तरफ 
अपनी बातों से मिठास खोल जाते हो। 
इलायची की तरफ
मेरी ज़िंदगी को अपने साथ से महकाते हो। 
दूध बन कर
मेरे गुस्से के उबाल को शांत कर जाते हो।
तो सच मे चाय से हो तुम 
मिलते ही सुकून दे जाते हो।

©Nidhi Dhankhar

चाय जैसे हो तुम मिलते ही सुकून दे जाते हो। पानी जैसे शांत से नजर आते हो। चाय-पती की तरह अपनी बातों से माहौल में एक नया रंग लाते हो। चीनी की तरफ अपनी बातों से मिठास खोल जाते हो। इलायची की तरफ मेरी ज़िंदगी को अपने साथ से महकाते हो। दूध बन कर मेरे गुस्से के उबाल को शांत कर जाते हो। तो सच मे चाय से हो तुम मिलते ही सुकून दे जाते हो। ©Nidhi Dhankhar

तुम=चाय=सुकून❣️☕

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