अचानक छूट जाता है मेरे हाथों से तुम्हारा हाथ
सो जाते हो तुम घोर निद्रा में अचानक ही
रुक जाती है तुम्हारी सांस एकदम से हमेशा के लिए
मां चीख पड़ती है बहुत जोर से अचानक
मैं दीदी को बुला रही फ़ोन पर चीख कर
जगा रही तुम्हें
पूरी ताकत के साथ
पर
मैं जगा नहीं पाई
जितने आंसू थे उतना रो भी नहीं पाई
मेरे चारो तरफ भीड़ है , शोर है
आसमान बनकर गठरी गिरा हमारी ओर है .
बीते कल की ये बातें अब सपने में आती है
तुम्हारे हिस्से के आंसू अक्सर नींद को भींगा जाती हैं...
उस रात की मनहूसियत अब भी मेरे ज़ेहन में है
खुशियाँ अपनी होकर भी रेहन में हैं ....
© Pallavi pandey
तुम्हारी याद में लिखते रहेंगे