अचानक छूट जाता है मेरे हाथों से तुम्हारा हाथ सो ज | हिंदी कविता

"अचानक छूट जाता है मेरे हाथों से तुम्हारा हाथ सो जाते हो तुम घोर निद्रा में अचानक ही रुक जाती है तुम्हारी सांस एकदम से हमेशा के लिए मां चीख पड़ती है बहुत जोर से अचानक मैं दीदी को बुला रही फ़ोन पर चीख कर जगा रही तुम्हें पूरी ताकत के साथ पर मैं जगा नहीं पाई जितने आंसू थे उतना रो भी नहीं पाई मेरे चारो तरफ भीड़ है , शोर है आसमान बनकर गठरी गिरा हमारी ओर है . बीते कल की ये बातें अब सपने में आती है तुम्हारे हिस्से के आंसू अक्सर नींद को भींगा जाती हैं... उस रात की मनहूसियत अब भी मेरे ज़ेहन में है खुशियाँ अपनी होकर भी रेहन में हैं .... © Pallavi pandey"

 अचानक छूट जाता है मेरे हाथों से तुम्हारा हाथ 
सो जाते हो तुम घोर निद्रा में अचानक ही 
रुक जाती है तुम्हारी सांस एकदम से हमेशा के लिए
मां चीख पड़ती है बहुत जोर से अचानक
मैं दीदी को बुला रही फ़ोन पर चीख कर 
जगा रही तुम्हें 
 पूरी ताकत के साथ 
पर 
मैं जगा नहीं पाई 
जितने आंसू थे उतना रो भी नहीं पाई 
मेरे चारो तरफ भीड़ है , शोर है 
आसमान बनकर गठरी गिरा हमारी ओर है .
बीते कल की ये बातें अब सपने में आती है
तुम्हारे हिस्से के आंसू अक्सर नींद को भींगा जाती हैं...
उस रात की मनहूसियत अब भी मेरे ज़ेहन में है 
खुशियाँ अपनी होकर भी रेहन में हैं ....

© Pallavi pandey

अचानक छूट जाता है मेरे हाथों से तुम्हारा हाथ सो जाते हो तुम घोर निद्रा में अचानक ही रुक जाती है तुम्हारी सांस एकदम से हमेशा के लिए मां चीख पड़ती है बहुत जोर से अचानक मैं दीदी को बुला रही फ़ोन पर चीख कर जगा रही तुम्हें पूरी ताकत के साथ पर मैं जगा नहीं पाई जितने आंसू थे उतना रो भी नहीं पाई मेरे चारो तरफ भीड़ है , शोर है आसमान बनकर गठरी गिरा हमारी ओर है . बीते कल की ये बातें अब सपने में आती है तुम्हारे हिस्से के आंसू अक्सर नींद को भींगा जाती हैं... उस रात की मनहूसियत अब भी मेरे ज़ेहन में है खुशियाँ अपनी होकर भी रेहन में हैं .... © Pallavi pandey

तुम्हारी याद में लिखते रहेंगे

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