Pallavi pandey

Pallavi pandey

research scholar BHU

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 White अबकी लौटोगे तो उस मोड़ पर वापिस मिलूंगी नहीं ,
याद आते हो बेहिसाब ये बात तुमसे कहूंगी नहीं ,
अब हंसती हूं तो चमकती नहीं आंखें मेरी 
हृदय उमड़ा है पर आंखों से बहूंगी नहीं ..
तुम ख़्वाब ,खयाल , डायरी, किताब सब जगह हो 
बस हकीकत में तुमसे अब मिलूंगी नहीं,
तुम बसंत बनकर दस्तक दो चाहे मगर 
मन कली कह रही मैं खिलूंगी नहीं ,
पांव दरिया में डाले अबके सोचा है मैंने
रेत लिपट जाए तो भी बिन बारिश के पूरी भीगूंगी नहीं

© Pallavi pandey

#शायरी #लव❤

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#कविता #beautifulmoon  Beautiful Moon Night  मेरे हाथों में खनक रही चूड़ियां 
तुम्हारी अनुपस्थिति में करती हैं 
संवाद मुझसे 
एक जादू है इनके खनकने में 
जाते –जाते रुक गया हो जैसे 
स्पर्शतुम्हारा 
धानी लाल चूड़ियों में ..
लिखते हुए अक्सर खन – खन की लय
खटखटा जाती है हौले से मन का किवाड़ 
मुस्कुरा के देख लिया मैंने
खिड़की के पार चमकता चांद ...

© Pallavi pandey
#कविता #beautifulmoon  Beautiful Moon Night  मेरे हाथों में खनक रही चूड़ियां 
तुम्हारी अनुपस्थिति में करती हैं 
संवाद मुझसे 
एक जादू है इनके खनकने में 
जाते –जाते रुक गया हो जैसे 
स्पर्शतुम्हारा 
धानी लाल चूड़ियों में ..
लिखते हुए अक्सर खन – खन की लय
खटखटा जाती है हौले से मन का किवाड़ 
मुस्कुरा के देख लिया मैंने
खिड़की के पार चमकता चांद ...

© Pallavi pandey

Beautiful Moon Night मेरे हाथों में खनक रही चूड़ियां तुम्हारी अनुपस्थिति में करती हैं संवाद मुझसे एक जादू है इनके खनकने में जाते –जाते रुक गया हो जैसे स्पर्शतुम्हारा धानी लाल चूड़ियों में .. लिखते हुए अक्सर खन – खन की लय खटखटा जाती है हौले से मन का किवाड़ मुस्कुरा के देख लिया मैंने खिड़की के पर चमकता चांद ... © Pallavi pandey

#कविता #beautifulmoon  Beautiful Moon Night मेरे हाथों में खनक रही चूड़ियां 
तुम्हारी अनुपस्थिति में करती हैं 
संवाद मुझसे 
एक जादू है इनके खनकने में 
जाते –जाते रुक गया हो जैसे 
स्पर्शतुम्हारा 
धानी लाल चूड़ियों में ..
लिखते हुए अक्सर खन – खन की लय
खटखटा जाती है हौले से मन का किवाड़ 
मुस्कुरा के देख लिया मैंने
खिड़की के पर चमकता चांद ...

© Pallavi pandey
#कविता #Moon  चांद पूर्ण था आसमान पर 
मन था धरा पर खाली 
सारा उपवन सूख गया 
देखता रह गया माली.....

© Pallavi pandey

#Moon

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#कविता  बसंत की प्रतीक्षा में 
मैंने
 लिखे है प्रेम गीत  
रखी है होठों पर मुस्कान 
खोली है आशा की खिड़कियां 
सजा रखी है फूलों की दुकान  ,
ओढ़ गुलाबी ओढ़नी 
गाए जा रही फाग 
उम्मीद है आएगा 
बसंत मेरा 
मुंडेर पर आज फिर बोला काग

© Pallavi pandey

बसंत

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