वो बात अभी आधी ही है
ये बात तुम्हें बतानी है।
हां डूब रहा है। वो नभ में पर,
शाम अभी भी बाकी है।
चल दिन ढल जाए बात नहीं,
यह रात अभी भी बाकी है।
वो बात अभी आधी ही है
ये बात तुम्हें बतानी है ।
चल काम तेरा, वो काम सही
बोली तूने हर बात सही पर,
उदधि के उस दर्पण में तुझे
तेरी छवि दिखानी है।
वो बात अभी आधी ही है
ये बात तुझे बतानी है ।
है एक समंदर पतझड़ सा
यह राख नहीं बस आंधी है
और तू भूले वो बात अलग पर,
बात अभी भी बाकी है।
©Jitendra Suryavanshi
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