यूं किसी अंजान राहों पे शुरू हुई थी दास्तान हमारी | हिंदी Shayari

"यूं किसी अंजान राहों पे शुरू हुई थी दास्तान हमारी और क़िस्मत की लकीरों में कभी हमारा मिलना भी–न लिखा था सब ख़त्म हो गाया– या फिर सब खत्म कर रहे हैं–पता नही वो बस इसीलिए की अब शुरुआत भी तो करनी है कितना हसेंगी ये आंखे हर वक्त मौसम बदल चुके हैं–अब बरसात भी तो आनी है... ©Suraj Agarwal"

 यूं किसी अंजान राहों पे
शुरू हुई थी दास्तान हमारी
और क़िस्मत की लकीरों में कभी
हमारा मिलना भी–न लिखा था
सब ख़त्म हो गाया– या फिर
सब खत्म कर रहे हैं–पता नही
वो बस इसीलिए की अब
शुरुआत भी तो करनी है
कितना हसेंगी ये आंखे हर वक्त
मौसम बदल चुके हैं–अब बरसात भी तो 
आनी है...

©Suraj Agarwal

यूं किसी अंजान राहों पे शुरू हुई थी दास्तान हमारी और क़िस्मत की लकीरों में कभी हमारा मिलना भी–न लिखा था सब ख़त्म हो गाया– या फिर सब खत्म कर रहे हैं–पता नही वो बस इसीलिए की अब शुरुआत भी तो करनी है कितना हसेंगी ये आंखे हर वक्त मौसम बदल चुके हैं–अब बरसात भी तो आनी है... ©Suraj Agarwal

#walkingalone#walkingalone😔😏 @Probhat dutta @verma Ji @Sanjit Roy Roy @Suraj dubey @Sushant Rana

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