दोषी साबित होने पर भी इतना चाल चल सकता है क्यों डर | हिंदी Shayari

"दोषी साबित होने पर भी इतना चाल चल सकता है क्यों डरे कोई दोषी जब वह सालों तक फल सकता है पूछने पर तर्क आता है उनका भी कुछ अधिकार है हैवानो को भी हां मिलता इस देश में सत्कार है गलती की है ऐसी उसने, मैं माफ नहीं कर सकता हूं बेटी से दरिंदगी मैं बर्दाश्त नहीं कर सकता हूं इंदिरा जयसिंह हा कह रही हैं सजा-ए-मौत को माफ करो हैवानो के हैवानियत के लिए हा रास्ता साफ करो चाहे हर न्याय व्यवस्था को संविधान के खिलाफ करो लेकिन सबसे पहले हां तुम उस पुत्री का इंसाफ करो हो सकता है मेरी बोली हां, कानून का अपमान है पर मेरे लिए सबसे ऊपर बेटियों का सम्मान है"

 दोषी साबित होने पर भी इतना चाल चल सकता है
क्यों डरे कोई  दोषी जब वह सालों तक फल सकता है
पूछने पर तर्क आता है उनका भी कुछ अधिकार है
हैवानो को भी हां मिलता इस देश में सत्कार है
गलती की है ऐसी उसने, मैं माफ नहीं कर सकता हूं
बेटी से दरिंदगी मैं बर्दाश्त नहीं कर सकता हूं
इंदिरा जयसिंह हा कह रही हैं सजा-ए-मौत को माफ करो
हैवानो के हैवानियत के लिए हा रास्ता साफ करो
चाहे हर न्याय व्यवस्था को संविधान के खिलाफ करो 
लेकिन सबसे  पहले हां तुम उस पुत्री का इंसाफ करो
हो सकता है मेरी बोली हां,  कानून का अपमान है
पर मेरे लिए सबसे ऊपर बेटियों का सम्मान है

दोषी साबित होने पर भी इतना चाल चल सकता है क्यों डरे कोई दोषी जब वह सालों तक फल सकता है पूछने पर तर्क आता है उनका भी कुछ अधिकार है हैवानो को भी हां मिलता इस देश में सत्कार है गलती की है ऐसी उसने, मैं माफ नहीं कर सकता हूं बेटी से दरिंदगी मैं बर्दाश्त नहीं कर सकता हूं इंदिरा जयसिंह हा कह रही हैं सजा-ए-मौत को माफ करो हैवानो के हैवानियत के लिए हा रास्ता साफ करो चाहे हर न्याय व्यवस्था को संविधान के खिलाफ करो लेकिन सबसे पहले हां तुम उस पुत्री का इंसाफ करो हो सकता है मेरी बोली हां, कानून का अपमान है पर मेरे लिए सबसे ऊपर बेटियों का सम्मान है

#beti

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