घुड़की में आशीष है।
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जिनके चरणों में जन्नत है, घुड़की में आशीष है।
माँ ही ममता माँ ही मेरी,भगवन और जगदीश है।।
उँगली थामे चलना सीखा,मुख से पहला नाम लिया।
जब भी गिरता मैं धरती पर, मुझको तूने थाम लिया।।
त्याग तपस्या की तुम मूरत, वंदन बारम्बार करूँ।
इस जग में तुमसे ही माता,सबसे ज्यादा प्यार करूँ।।
कई अभागे इस धरती पर,मां से नफरत करते हैं।
इसे अकेला छोड़ जगत में, बीवी पर ही मरते हैं।।
हर प्राणी को माँ की चाहत,है मिलती ममता सबको।
पूजा कर भगवान समझ कर,सुधर जरा भाई अबतो।।
पंकज शर्मा"तरुण".
#MothersDay