White महकते नयना देखकर, मौन जल ग़ज़ल हो चला, उदासी स | हिंदी कविता

"White महकते नयना देखकर, मौन जल ग़ज़ल हो चला, उदासी से हो उन्मुक्त, वो प्रसन्न प्रबल हो चला। मोहक मुस्कान देखकर, अचल जल चंचल हो चला, संशय से होकर विमुक्त, वो मगन मंगल हो चला। मधुर नरम अधर देखकर, निष्ठुर जल सरल हो चला, विरह वेदना से हो मुक्त, वो रुचिर कोमल हो चला। भव्य विभूषित मुख देखकर, निर्मल जल सफल हो चला, अथाह व्यथा से हो मुक्त, वो मस्त मृदुल हो चला...। डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि' 🇮🇳 ©Anand Dadhich"

 White महकते नयना देखकर,
मौन जल ग़ज़ल हो चला,
उदासी से हो उन्मुक्त,
वो प्रसन्न प्रबल हो चला।

मोहक मुस्कान देखकर,
अचल जल चंचल हो चला,
संशय से होकर विमुक्त,
वो मगन मंगल हो चला।

मधुर नरम अधर देखकर,
निष्ठुर जल सरल हो चला,
विरह वेदना से हो मुक्त,
वो रुचिर कोमल हो चला।

भव्य विभूषित मुख देखकर,
निर्मल जल सफल हो चला,
अथाह व्यथा से हो मुक्त,
वो मस्त मृदुल हो चला...।

डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि' 🇮🇳

©Anand Dadhich

White महकते नयना देखकर, मौन जल ग़ज़ल हो चला, उदासी से हो उन्मुक्त, वो प्रसन्न प्रबल हो चला। मोहक मुस्कान देखकर, अचल जल चंचल हो चला, संशय से होकर विमुक्त, वो मगन मंगल हो चला। मधुर नरम अधर देखकर, निष्ठुर जल सरल हो चला, विरह वेदना से हो मुक्त, वो रुचिर कोमल हो चला। भव्य विभूषित मुख देखकर, निर्मल जल सफल हो चला, अथाह व्यथा से हो मुक्त, वो मस्त मृदुल हो चला...। डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि' 🇮🇳 ©Anand Dadhich

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