गमगीन से मैं न कभी लौट आया, फिर न जाने क्यों शब्दो

"गमगीन से मैं न कभी लौट आया, फिर न जाने क्यों शब्दों को छोड़ आया। मौजूद हूँ उसी दरख्त पे सुबहो श्यामे कहीं, फिर वो अंदर का शायर कभी न लौट आया।। ©Amit Rawat"

 गमगीन से मैं न कभी लौट आया,
फिर न जाने क्यों शब्दों को छोड़ आया।

मौजूद हूँ उसी दरख्त पे सुबहो श्यामे कहीं,
फिर वो अंदर का शायर कभी न लौट आया।।

©Amit Rawat

गमगीन से मैं न कभी लौट आया, फिर न जाने क्यों शब्दों को छोड़ आया। मौजूद हूँ उसी दरख्त पे सुबहो श्यामे कहीं, फिर वो अंदर का शायर कभी न लौट आया।। ©Amit Rawat

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