शिकायत अगर लफ़्ज़ों में हो तो मसले सुलझ जाते हैं, | हिंदी कविता

"शिकायत अगर लफ़्ज़ों में हो तो मसले सुलझ जाते हैं, शिकायतें अगर चुप्पी में हो तो वो भी उलझ जाते हैं। बैठ कर दूर कर लो अपनी सारी गलत फहमियां, कई बार हम बेवज़ह ही अपनों से दूर हो जाते हैं। ग़लत समझ लेना बहुत ही आसान होता है, और कई बार सही समझने में अरसे बीत जाते हैं। ये ज़िंदगी चार दिन की है दोस्तों, चलो फिर से हम आज हर बाजी जीत जाते हैं। ©Richa Dhar"

 शिकायत अगर लफ़्ज़ों में हो तो मसले सुलझ जाते हैं,
शिकायतें अगर चुप्पी में हो तो वो भी उलझ जाते हैं।
बैठ कर दूर कर लो अपनी सारी गलत फहमियां,
कई बार हम बेवज़ह ही अपनों से दूर हो जाते हैं।

ग़लत समझ लेना बहुत ही आसान होता है, 
और कई बार सही समझने में अरसे बीत जाते हैं।
ये ज़िंदगी चार दिन की है दोस्तों, 
चलो फिर से हम आज हर बाजी जीत जाते हैं।

©Richa Dhar

शिकायत अगर लफ़्ज़ों में हो तो मसले सुलझ जाते हैं, शिकायतें अगर चुप्पी में हो तो वो भी उलझ जाते हैं। बैठ कर दूर कर लो अपनी सारी गलत फहमियां, कई बार हम बेवज़ह ही अपनों से दूर हो जाते हैं। ग़लत समझ लेना बहुत ही आसान होता है, और कई बार सही समझने में अरसे बीत जाते हैं। ये ज़िंदगी चार दिन की है दोस्तों, चलो फिर से हम आज हर बाजी जीत जाते हैं। ©Richa Dhar

शिकायत

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