एक सपना मैंने देखा था तुम्हें अपना बनाने का वो आरज | हिंदी कविता

"एक सपना मैंने देखा था तुम्हें अपना बनाने का वो आरजू ना जाने कब के कर्ब में दब गये। सोचा था अब ना होंगी कभी मुलाकातें तेरी यादों ने अब तक मुझे सोने ना दिया तेरी आहट आज भी चौकठ पर खड़ी हैं मेरे दिल के दरवाजे ने उसे आने न दिया। तेरा प्यारा-मेरा प्यारा न जाने था कैसा प्यारा जो इस जवाने ने मुझको विवश कर दिया फिर भी चिंगारी कहीं तो सुलगती रही जिसने मुझको आज फिर से जिन्दा कर दिया।"

 एक सपना मैंने देखा था
तुम्हें अपना बनाने का
वो आरजू ना जाने कब के कर्ब में दब गये।

सोचा था अब ना होंगी कभी मुलाकातें
तेरी यादों ने अब तक मुझे सोने ना दिया
तेरी आहट आज भी चौकठ पर खड़ी हैं
मेरे दिल के दरवाजे ने उसे आने न दिया।

तेरा प्यारा-मेरा प्यारा न जाने था कैसा प्यारा
जो इस जवाने ने मुझको विवश कर दिया
फिर भी चिंगारी कहीं तो सुलगती रही
जिसने मुझको आज फिर से जिन्दा कर दिया।

एक सपना मैंने देखा था तुम्हें अपना बनाने का वो आरजू ना जाने कब के कर्ब में दब गये। सोचा था अब ना होंगी कभी मुलाकातें तेरी यादों ने अब तक मुझे सोने ना दिया तेरी आहट आज भी चौकठ पर खड़ी हैं मेरे दिल के दरवाजे ने उसे आने न दिया। तेरा प्यारा-मेरा प्यारा न जाने था कैसा प्यारा जो इस जवाने ने मुझको विवश कर दिया फिर भी चिंगारी कहीं तो सुलगती रही जिसने मुझको आज फिर से जिन्दा कर दिया।



#ShiningInDark

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