ek guzarish iss tanhai bhade raat ke naam
ऐ रात तू बता ज़रा आज साथ अपने मेरे लिए क्या लाई है..??
क्या आज फिर मेरे हिस्से बस फ़क़त तन्हाई है..??
कभी तो बात मान मेरी, कभी ज़रा रहम भी कर..!!
मेरे गम और ख़ुशी के बीच क्यों इतनी जुदाई है..??
हक़ है जीने का मुझको भी, क्यों मान नहीं लेती हो तुम..!!
आखिर क्यों भला मेरे हिस्से बस एक तड़प हीं आई है..??