अहिल्या बाई होलकर(31 मई -13 अगस्त) जब गांव में को

"अहिल्या बाई होलकर(31 मई -13 अगस्त) जब गांव में कोई स्त्री-शिक्षा का ख्याल भी मन में नहीं लाता था तब मनकोजी ने अपनी बेटी को घर पर ही पढ़ना-लिखना सिखाया।हालाँकि अहिल्या किसी शाही वंश से नहीं थीं। उनका जन्म एक चरवाहे(OBC) परिवार में हुआ था।अपने पति की मृत्यु के पश्चात जब अहिल्याबाई ने सती हो जाने का निर्णय किया तो उनके ससुर मल्हार राव होलकर ने उन्हें रोक दिया। हर एक परिस्थिति में अहिल्या के ससुर उनके साथ खड़े रहे।अहिल्याबाई हर दिन लोगों की समस्याएं दूर करने के लिए सार्वजनिक सभाएं रखतीं थीं। इतिहासकार लिखते हैं कि उन्होंने हमेशा अपने राज्य और अपने लोगों को आगे बढ़ने का हौंसला दिया।ऐनी बेसंट लिखती हैं, “उनके राज में सड़कें दोनों तरफ से वृक्षों से घिरी रहती थीं। राहगीरों के लिए कुएं और विश्रामघर बनवाये गए। गरीब, बेघर लोगों की जरूरतें हमेशा पूरी की गयीं। आदिवासी कबीलों को उन्होंने जंगलों का जीवन छोड़ गांवों में किसानों के रूप में बस जाने के लिए मनाया। हिन्दू और मुस्लमान दोनों धर्मों के लोग सामान भाव से उस महान रानी के श्रद्धेय थे और उनकी लम्बी उम्र की कामना करते थे।” ©manish bauddh"

 अहिल्या बाई होलकर(31 मई -13 अगस्त)

जब गांव में कोई स्त्री-शिक्षा का ख्याल भी मन में नहीं लाता था तब मनकोजी ने अपनी बेटी को घर पर ही पढ़ना-लिखना सिखाया।हालाँकि अहिल्या किसी शाही वंश से नहीं थीं। उनका जन्म एक चरवाहे(OBC) परिवार में हुआ था।अपने पति की मृत्यु के पश्चात जब अहिल्याबाई ने सती हो जाने का निर्णय किया तो उनके ससुर मल्हार राव होलकर ने उन्हें रोक दिया। हर एक परिस्थिति में अहिल्या के ससुर उनके साथ खड़े रहे।अहिल्याबाई हर दिन लोगों की समस्याएं दूर करने के लिए सार्वजनिक सभाएं रखतीं थीं। इतिहासकार लिखते हैं कि उन्होंने हमेशा अपने राज्य और अपने लोगों को आगे बढ़ने का हौंसला दिया।ऐनी बेसंट लिखती हैं, “उनके राज में सड़कें दोनों तरफ से वृक्षों से घिरी रहती थीं। राहगीरों के लिए कुएं और विश्रामघर बनवाये गए। गरीब, बेघर लोगों की जरूरतें हमेशा पूरी की गयीं। आदिवासी कबीलों को उन्होंने जंगलों का जीवन छोड़ गांवों में किसानों के रूप में बस जाने के लिए मनाया। हिन्दू और मुस्लमान दोनों धर्मों के लोग सामान भाव से उस महान रानी के श्रद्धेय थे और उनकी लम्बी उम्र की कामना करते थे।”

©manish bauddh

अहिल्या बाई होलकर(31 मई -13 अगस्त) जब गांव में कोई स्त्री-शिक्षा का ख्याल भी मन में नहीं लाता था तब मनकोजी ने अपनी बेटी को घर पर ही पढ़ना-लिखना सिखाया।हालाँकि अहिल्या किसी शाही वंश से नहीं थीं। उनका जन्म एक चरवाहे(OBC) परिवार में हुआ था।अपने पति की मृत्यु के पश्चात जब अहिल्याबाई ने सती हो जाने का निर्णय किया तो उनके ससुर मल्हार राव होलकर ने उन्हें रोक दिया। हर एक परिस्थिति में अहिल्या के ससुर उनके साथ खड़े रहे।अहिल्याबाई हर दिन लोगों की समस्याएं दूर करने के लिए सार्वजनिक सभाएं रखतीं थीं। इतिहासकार लिखते हैं कि उन्होंने हमेशा अपने राज्य और अपने लोगों को आगे बढ़ने का हौंसला दिया।ऐनी बेसंट लिखती हैं, “उनके राज में सड़कें दोनों तरफ से वृक्षों से घिरी रहती थीं। राहगीरों के लिए कुएं और विश्रामघर बनवाये गए। गरीब, बेघर लोगों की जरूरतें हमेशा पूरी की गयीं। आदिवासी कबीलों को उन्होंने जंगलों का जीवन छोड़ गांवों में किसानों के रूप में बस जाने के लिए मनाया। हिन्दू और मुस्लमान दोनों धर्मों के लोग सामान भाव से उस महान रानी के श्रद्धेय थे और उनकी लम्बी उम्र की कामना करते थे।” ©manish bauddh

जन्म दिवस की हार्दिक बधाई

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