1. अब कभी घर नहीं आऊंगा.
2. कभी अपना घर नहीं खरीदूंगा.
3. गरीबों दलितों का घर ही मेरा घर होगा.
4. सभी रिश्तेदारों से मुक्त रहूंगा
5. किसी के शादी, जन्मदिन, अंतिम संस्कार में शामिल नहीं होऊंगा.
6. कोई नौकरी नहीं करूंगा.
7. जब तक बाबा साहब अंबेडकर का सपना पूरा नहीं हो जाता, चैन से नहीं बैठूंगा.
कांशीराम ने इन प्रतिज्ञाओं का पालन किया. वह अपने पिता के अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं हुए।
आज जिसने संपूर्ण बहुजन समाज(sc,st,obc) को सामाजिक परिवर्तन से लेकर सत्ता की गलियों तक से रूबरू कराया और अपना पूरा जीवन समाज को सौंप दिया। बहुत दुख होता है जब बहुजन समाज की आधी से ज्यादा आबादी कांशीराम साहेब के त्याग और संघर्ष से अपरिचित होती है।
©manish bauddh
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