White एक बात है जो अक्सर मेरे ज़हन में आती है,
ना जाने किसकी बद्दुआ के हम शिकार हो गए,
छोटी-छोटी खुशियों के मोहताज हो गए,
जितना संभव था सबकी मदद कर गए,
फिर भी शिकायतों के शिकार हो गए,
हर रिश्ते में शत-प्रतिशत दे गए,
फिर भी सबकी नजरों में गुनाहगार हो गए,
इंसान परखने में थोड़ी भूल कर गए,
इसलिए फरेब साजिशों के शिकार हो गए।
©Supriya Jha
#शिकायत