हमने कब जाना था
कि यह मंजर होगा,
अपना शहर भी
एक दिन बंजर होगा,
गूंजों के इस शहर में
जाने कैसी ख़ामोशी छाई है,
अक्सर होश में रहने वाले
आज मदहोशी में आये है,
सुना है कुछ मिला है
इन्हें इंसानो में,
अब तो जहर बेचने वाले भी
खुद मौत के हाथ आये हैं,
सुनसान सड़क
बिरान पड़ा अब शहर है,
इंसानों पर प्रकृति का
यह बड़ा कहर है,
दुबक घरों में कैद है आज इंसान
सड़कों पर बेख़ौफ़ घूम रहे हैं बेजुबान,
लगता है अब कुछ नही बचेगा
इंसान, इंसानो से ही डरेगा,
जीद नही होगी अब
ज्यादा कमाने को,
सब डर से भागेंगे
अपनी जान बचाने को,
कहते थे सबका हल है विज्ञान
फिर क्यों तड़प कर मर रहा इंसान,
छोडो अब बन्द करो
प्रकृति का नुकसान,
वरना प्रकृति नही छोडेगी
इंसानों का कोई भी निशान.... 👹 #StayatHome@fightagainstcorona
#PoetryOnline
dilsere - archu 7 StuPid Aloneboy Anirudh Upadhyay Ritu