कभी जो तुम्हारे बालों पर तारिफ लिख दूं,
तो शायद अच्छा लगे तुम्हें ।
कभी जो तुम्हारे मन को शब्दों से घायल कर दूं,
तो शायद वो भी अच्छा लगे तुम्हें ।
इस शायद में न जाने कितनी गुस्ताखी छिपी है
कभी जो मैं गुस्ताखी कर दूं,
तो शायद मेरा गुस्ताख हो जाना अच्छा लगे तुम्हें।
©Poonam Singh
कभी जो तुम्हारे बालों पर तारिफ लिख दूं, तो शायद अच्छा लगे तुम्हें ।
कभी जो तुम्हारे मन को शब्दों से घायल कर दूं, तो शायद वो भी अच्छा लगे तुम्हें ।
इस शायद में न जाने कितनी गुस्ताखी छिपी है
कभी जो मैं गुस्ताखी कर दूं, तो शायद मेरा गुस्ताख हो जाना अच्छा लगे तुम्हें।