मेरी साइकिल "कहानी मेरी साइकिल की, शुरुआत गिरने | हिंदी Shayari

"मेरी साइकिल "कहानी मेरी साइकिल की, शुरुआत गिरने से हुई थीं, पैर पैडल तक पहुँचते नहीं थे, स्टीयरिंग पर कोई काबू नहीं था, भाई-बहन दोनों ओर से साइकिल को पकड़े रहते, फिर में धीरे धीरे साइकिल चलाने की कोशिश करता था। इसी तरह छोटी साइकिल तो सीख गया। अब बारी आई बड़ी साइकिल को चलाने की, थोड़ा सा डर था ये बड़ी पाईपवाली साइकिल को चलाने में, और मेरी हाईट भी छोटी थी, लेकिन थोड़ी हिम्मत करके में पाईप के नीचे की बीच की जगह में पैर डालकर साईकिल को चलाने लगा। धीरे-धीरे करके में अच्छे से बड़ी साइकिल भी चलाना सीख गया, आज चाहें साइकिल कोई भी हो, चलाने में इक्के बन गए हैं हम।" ©Hardik Kapadiya"

 मेरी साइकिल  "कहानी मेरी साइकिल की, शुरुआत गिरने 
से हुई थीं, पैर पैडल तक पहुँचते नहीं थे,
स्टीयरिंग पर कोई काबू नहीं था, भाई-बहन 
दोनों ओर से साइकिल को पकड़े रहते, फिर में 
धीरे धीरे साइकिल चलाने की कोशिश करता था। 
इसी तरह छोटी साइकिल तो सीख गया। 
अब बारी आई बड़ी साइकिल को चलाने की, 
थोड़ा सा डर था ये बड़ी पाईपवाली साइकिल 
को चलाने में, और मेरी हाईट भी छोटी थी, 
लेकिन थोड़ी हिम्मत करके में पाईप के नीचे 
की बीच की जगह में पैर डालकर साईकिल 
को चलाने लगा। धीरे-धीरे करके में अच्छे से 
बड़ी साइकिल भी चलाना सीख गया, 
आज चाहें साइकिल कोई भी हो, 
चलाने में इक्के बन गए हैं हम।"

©Hardik Kapadiya

मेरी साइकिल "कहानी मेरी साइकिल की, शुरुआत गिरने से हुई थीं, पैर पैडल तक पहुँचते नहीं थे, स्टीयरिंग पर कोई काबू नहीं था, भाई-बहन दोनों ओर से साइकिल को पकड़े रहते, फिर में धीरे धीरे साइकिल चलाने की कोशिश करता था। इसी तरह छोटी साइकिल तो सीख गया। अब बारी आई बड़ी साइकिल को चलाने की, थोड़ा सा डर था ये बड़ी पाईपवाली साइकिल को चलाने में, और मेरी हाईट भी छोटी थी, लेकिन थोड़ी हिम्मत करके में पाईप के नीचे की बीच की जगह में पैर डालकर साईकिल को चलाने लगा। धीरे-धीरे करके में अच्छे से बड़ी साइकिल भी चलाना सीख गया, आज चाहें साइकिल कोई भी हो, चलाने में इक्के बन गए हैं हम।" ©Hardik Kapadiya

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