समझाना चाहती हूं..... चलती है सांसे उसकी भी | हिंदी विचार

"समझाना चाहती हूं..... चलती है सांसे उसकी भी वो जिस्म बेजान नहीं है क्यों समझते हूं कि उसका कोई अरमान नहीं है.. अपनी गंदी निगाहों से हर रोज मैला करके उसके चित्त मन को कहते हो औरत को समझना आसान नहीं है।"

 समझाना चाहती हूं.....

चलती है सांसे उसकी भी
        वो जिस्म बेजान नहीं है
क्यों समझते हूं कि उसका कोई अरमान नहीं है..
अपनी गंदी निगाहों से 
हर रोज मैला करके उसके चित्त मन को

कहते हो औरत को समझना आसान नहीं है।

समझाना चाहती हूं..... चलती है सांसे उसकी भी वो जिस्म बेजान नहीं है क्यों समझते हूं कि उसका कोई अरमान नहीं है.. अपनी गंदी निगाहों से हर रोज मैला करके उसके चित्त मन को कहते हो औरत को समझना आसान नहीं है।

#औरत_को_समझना_आसान_नहीं_है

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