White आजीवन मुखिया रहे मेरे नाना जी ने मुखिया - चुनाव में हैट्रिक मारी थी । उन्हें गर्व था, हैट्रिक का नहीं, बल्कि इस बात का कि उनके विपक्षी की पत्नी भी उन्हें वोट देती थी, बात यहां तक कि यह सर्वविदित था,नाना जी विपक्षी को घर से वोट ले लेने की चुनौती तक डालते थे, मगर विपक्षी को सम्मान इस बात का देते थे कि वोट के नाम पर विपक्षी के घर में कलह कभी नहीं सुना। ये लोकतंत्र है, विपक्षी के घर जो था और सत्तारूढ़ मेरे नाना जी के दिल में था, विपक्षी के लिए सम्मान का भाव।
और मुझे यह बताने में जरा भी गुरेज नहीं है कि विपक्षी के धैर्य का फल मिला, मेरे नाना जी और उन विपक्षी के बाद उनके ही घर मुखिया का पद पहुंचा।
निष्कर्ष ----लोकतंत्र श्रद्धा, सम्मान, धैर्य का प्रतीक है।
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#लोकतंत्र धैर्य के महापर्व का प्रतीक है।