ये बेचैनी क्यों तुममें, खौफ के पीछे अपनी हिम्मत छिपाओ तो नहीं।
भूलो मत चांद को छूकर आए हो,
जो असंभव काम को करने की ताबीर रखता है,
हा तुम हो इंसान वहीं।
खुद को ढक लो अच्छे से, मगर अपने साहस को खुला छोड़ दो।
ये covid नामक दीवार को, बिन छुएं अपने हौसले से तोड़ दो।
बेशक तुम दर्द में हो क्यों नहीं जरा सा रो लो,
उन आसुओं को सफ़लता का हार बनाओ
और हिम्मत के धागों में पिरो लो।
कुछ चिजो को आदत बनाओ, चेहरे पर मास्क लगाओ।
दूरियां बना कर, इंसानियत अपना कर,
ये महामारी दूर कर अपने भारत को ,
स्वक्ष और उज्ज्वल भारत बनाओ।
©pujarai
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