कि वह जब हमसे दूर जाने को कहती है
सांसे मेरी रुक जाने को कहती है
कहती है ये सांसे की बेवफा हम नहीं है
गर तुझ से वफा की तो तेरे वफा के काबिल नहीं है
वो मुस्कुराए जहां की खुशियां भी मिले उसे
तेरी आंखों में आंसू आए ये उसके भी काबिल नहीं है
काबिल तो बहुत है वो जो मुझसे से इश्क किया
यकीन है अब मुझे की वो मेरे इश्क के काबिल नहीं है
वफा वफा वफा करेगी वो जिससे
वह इस बेवफा से वफा करने के काबिल नहीं है
©Prashant Kumar Pandey
कि वह जब हमसे दूर जाने को कहती है
सांसे मेरी रुक जाने को कहती है
कहती है ये सांसे की बेवफा हम नहीं है
गर तुझ से वफा की तो तेरे वफा के काबिल नहीं है
वो मुस्कुराए जहां की खुशियां भी मिले उसे
तेरी आंखों में आंसू आए ये उसके भी काबिल नहीं है