सृजन (दोहे)
सृजन किया भगवान ने, ये सारा संसार।
इनकी महिमा है बड़ी, जग के तारनहार।।
देख सृजन इंसान की, होते भाव विभोर।
सब को ही ये बाँधती, ऐसी अनुपम डोर।।
सृजन कला से जोड़ती, सभी कहें विद्वान।
जो इस से हैं चूकते, कैसे हो पहचान।।
एक सृजन मैंने किया, दोहे जिसका नाम।
गुरुवर की है ये कृपा, उनको करें प्रणाम।।
सृजन करें नित कर्म का, जो दे उच्च विचार।
संकट से सब दूर हों, हो सबका उद्धार।।
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देवेश दीक्षित
©Devesh Dixit
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सृजन (दोहे)
सृजन किया भगवान ने, ये सारा संसार।
इनकी महिमा है बड़ी, जग के तारनहार।।
देख सृजन इंसान की, होते भाव विभोर।