बर्फ पडती है वादीयो मे अब भी, सूरज की किरने हलके ह

"बर्फ पडती है वादीयो मे अब भी, सूरज की किरने हलके हलके उतरती है मगर पिघल गये वो सारे टुकडे , जिन पर कभी तेरा नाम लिखा था। -ऋतुजा"

 बर्फ पडती है वादीयो मे अब भी,
सूरज की किरने हलके हलके उतरती है
 मगर पिघल गये वो सारे टुकडे ,
                              जिन पर कभी तेरा नाम लिखा था।
    -ऋतुजा

बर्फ पडती है वादीयो मे अब भी, सूरज की किरने हलके हलके उतरती है मगर पिघल गये वो सारे टुकडे , जिन पर कभी तेरा नाम लिखा था। -ऋतुजा

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