"इल्जाम लगा है अनमोल तुम पर
कई जिन्दगी बर्बाद करने का....//
फिर तुझे हक कैसे है,
खुद की जिन्दगी आबाद करने का....//
और मुस्कान छीन रखी है तूने कई चहरों की,
मुझे भी अंदर से सुकून मिले, कोई हक नहीं है तुम्हे,
खुदा से ऐसी फरयाद करने का...//
खड़े रहो कटघरे मे अनमोल,
इल्जाम लगा है तुम पर
कई जिन्दगी बर्बाद करने का....//
©Molu Writer"