जब किसी मज़लूम की आह लगती है । सब धुंआ हो जाता है | हिंदी शायरी

"जब किसी मज़लूम की आह लगती है । सब धुंआ हो जाता है ऐसी आग लगती है ।। ओमी मज़लूम -पीड़ित, सताया हुआ ©Omi Sharma"

 जब किसी मज़लूम की आह लगती है  ।
सब धुंआ हो जाता है ऐसी आग लगती है  ।।

ओमी

मज़लूम -पीड़ित, सताया हुआ

©Omi Sharma

जब किसी मज़लूम की आह लगती है । सब धुंआ हो जाता है ऐसी आग लगती है ।। ओमी मज़लूम -पीड़ित, सताया हुआ ©Omi Sharma

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