Omi Sharma

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HALDWANI NAINITAL

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#InspireThroughWriting #शायरी  माफ़ करना मैं उसूल अपने भूल गया ,
देखा उन्हें  तो हद अपनी भूल गया ।

वो थोड़ी थी मुलाकात मगर ऐसी थी ,
मैं   खुद अपना   पता  भूल  गया ।

वो अदा कातिल इस कदर  दीवाना कर गई मुझको ,
 खेलना आदत है  उनकी जुल्फ़ों से मैं  ये भूल गया ।

 देखकर रुख हवा का परवाज़ भर बैठा ,
 घायल   परिन्दा  था  मैं   ये   भूल   गया ।

बहक गया था देख रवानी दरिया की ,
ठहरा   पानी  था   मैं  ये   भूल  गया ।।

ओमी

©Omi Sharma
#शायरी #worldpostday  तेरे दामन से लिपटकर रोना चाहता हूँ   ।
इश्क कितना है तुझसे, बताना चाहता हूँ   ।।

है वजूद जिन्दा अभी अश्कों का मेरे   ।
मैं तेरे पास आकर आजमाना चाहता हूँ   ।।

अब संभलता नहीं मुझसे शीशा-ए-दिल    ।
मैं   टूटकर   बिखरना चाहता       हूँ    ।।

थक गइ हैं आँखे तेरे दीद की  दिवानी   ।
अब तेरा नाम लेकर मर जाना चाहता हूँ   ।।



ओमीd-ए-

©Omi Sharma

#worldpostday

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रो -रोकर पूछते हैं मुझसे ,पैरों के छाले ।, कहाँ मिलते हैं ? ये बिछड़ने वाले ।। ओमी ©Omi Sharma

#शायरी  रो -रोकर पूछते हैं मुझसे ,पैरों के छाले  ।,

कहाँ मिलते हैं ? ये बिछड़ने वाले  ।।


ओमी

©Omi Sharma

रो -रोकर पूछते हैं मुझसे ,पैरों के छाले ।, कहाँ मिलते हैं ? ये बिछड़ने वाले ।। ओमी ©Omi Sharma

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जब किसी मज़लूम की आह लगती है । सब धुंआ हो जाता है ऐसी आग लगती है ।। ओमी मज़लूम -पीड़ित, सताया हुआ ©Omi Sharma

#शायरी  जब किसी मज़लूम की आह लगती है  ।
सब धुंआ हो जाता है ऐसी आग लगती है  ।।

ओमी

मज़लूम -पीड़ित, सताया हुआ

©Omi Sharma

जब किसी मज़लूम की आह लगती है । सब धुंआ हो जाता है ऐसी आग लगती है ।। ओमी मज़लूम -पीड़ित, सताया हुआ ©Omi Sharma

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इक मुद्दत के बाद घर से आज निकले हैं ।। भरी दोपहर में ढूँढने चाँद निकले हैं ।। ओमी ©Omi Sharma

#शायरी #Top  इक मुद्दत के बाद घर से आज निकले हैं ।।

भरी  दोपहर  में  ढूँढने  चाँद  निकले   हैं  ।।

ओमी

©Omi Sharma

#Top

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ईधर बे ख़्याली में भी तेरा ख़्याल है । तु बता ! ऊधर तेरा क्या हाल है ।। ओमी ©Omi Sharma

#शायरी #Photos  ईधर बे ख़्याली में भी तेरा ख़्याल है ।

तु बता ! ऊधर तेरा क्या हाल है ।।


ओमी

©Omi Sharma

#Photos

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