ज़िन्दगी से 2,2 हाथ कौन करे,..... (Lazy Feelings ) | हिंदी कविता

"ज़िन्दगी से 2,2 हाथ कौन करे,..... (Lazy Feelings ) इतनी मेहनत कौन करें, ज़िन्दगी से 2,2 हाथ कौन करे, सोये हैं रातको तो,सुबह उठ ही जायेगे, अलार्म लगाके, उठने की मशक्कत कौन करें, ~होगा~ खाने का वक्त,तो खा भी लेंगे, बनाने की मशक्क्त कौन करे, जिंदगी बस कटती रहे यूँही, इसे ~थाम लेने~ की मशक्कत कौन करे, इतनी निराशाओ भारी जिंदगी है यारों, ~इन~ निराशाओ से 2,2 हाथ कौन करे, पड़े हैं जिंदगी के जंजाल मे, इससे निकलने की मशक्कत कौन करें, जिंदगी से 2,2 हाथ कौन करें...... जिंदगी की भीड़ मे बहुत कम अपने लगते हैं, इन्हे खोने की हिम्मत कौन करें, लगेगा कोई ~अच्छा भी~, इस भीड़ मे, ~पर उनसे~ बोलने की ~कूवत~ कौन करें, जिंदगी से 2,2 हाथ कौन करें...... पड़े हैं आलसी बने, जिंदगी खुद करिश्मा दिखाएगी, इसे सवारने मे वक्त जाया कौन करें. जिंदगी से 2,2 हाथ कौन करें...... बैठे हैं ~हालतों के बदलने कि आश~ मे, लकीरो को बदलने की ~ज़हमत~ कौन करें, जिंदगी से 2,2 हाथ कौन करें...... खुदा होगा मेहरबान कभी ना कभी, बना देगा जिंदगी अपने हिसाब से, खुद से जिंदगी बनाने की मशक्कत कौन करें, ज़िन्दगी से 2,2 हाथ कौन करे..... ©Udayan Misra"

 ज़िन्दगी से 2,2 हाथ कौन करे,.....
(Lazy Feelings )

इतनी मेहनत कौन करें,
ज़िन्दगी से 2,2 हाथ कौन करे,
सोये हैं रातको तो,सुबह उठ ही जायेगे,
अलार्म लगाके, उठने की मशक्कत कौन करें,

~होगा~ खाने का वक्त,तो खा भी लेंगे,
बनाने की मशक्क्त कौन करे,

जिंदगी बस कटती रहे यूँही,
इसे ~थाम लेने~ की मशक्कत कौन करे,

इतनी निराशाओ भारी जिंदगी है यारों,
~इन~ निराशाओ से 2,2 हाथ कौन करे,
पड़े हैं जिंदगी के जंजाल मे,
इससे निकलने की मशक्कत कौन करें,
जिंदगी से 2,2 हाथ कौन करें......

जिंदगी की भीड़ मे बहुत कम अपने लगते हैं,
इन्हे खोने की हिम्मत कौन करें,
लगेगा कोई ~अच्छा भी~, इस भीड़ मे,
~पर उनसे~ बोलने की ~कूवत~ कौन करें,
जिंदगी से 2,2 हाथ कौन करें......

पड़े हैं आलसी बने,
जिंदगी खुद करिश्मा दिखाएगी,
इसे सवारने मे वक्त जाया कौन करें.
जिंदगी से 2,2 हाथ कौन करें......

बैठे हैं  ~हालतों के बदलने कि आश~ मे,
लकीरो को बदलने की ~ज़हमत~ कौन करें,
जिंदगी से 2,2 हाथ कौन करें......

खुदा होगा मेहरबान कभी ना कभी,
बना देगा जिंदगी अपने हिसाब से,
खुद से जिंदगी बनाने की मशक्कत कौन करें,
ज़िन्दगी से 2,2 हाथ कौन करे.....

©Udayan Misra

ज़िन्दगी से 2,2 हाथ कौन करे,..... (Lazy Feelings ) इतनी मेहनत कौन करें, ज़िन्दगी से 2,2 हाथ कौन करे, सोये हैं रातको तो,सुबह उठ ही जायेगे, अलार्म लगाके, उठने की मशक्कत कौन करें, ~होगा~ खाने का वक्त,तो खा भी लेंगे, बनाने की मशक्क्त कौन करे, जिंदगी बस कटती रहे यूँही, इसे ~थाम लेने~ की मशक्कत कौन करे, इतनी निराशाओ भारी जिंदगी है यारों, ~इन~ निराशाओ से 2,2 हाथ कौन करे, पड़े हैं जिंदगी के जंजाल मे, इससे निकलने की मशक्कत कौन करें, जिंदगी से 2,2 हाथ कौन करें...... जिंदगी की भीड़ मे बहुत कम अपने लगते हैं, इन्हे खोने की हिम्मत कौन करें, लगेगा कोई ~अच्छा भी~, इस भीड़ मे, ~पर उनसे~ बोलने की ~कूवत~ कौन करें, जिंदगी से 2,2 हाथ कौन करें...... पड़े हैं आलसी बने, जिंदगी खुद करिश्मा दिखाएगी, इसे सवारने मे वक्त जाया कौन करें. जिंदगी से 2,2 हाथ कौन करें...... बैठे हैं ~हालतों के बदलने कि आश~ मे, लकीरो को बदलने की ~ज़हमत~ कौन करें, जिंदगी से 2,2 हाथ कौन करें...... खुदा होगा मेहरबान कभी ना कभी, बना देगा जिंदगी अपने हिसाब से, खुद से जिंदगी बनाने की मशक्कत कौन करें, ज़िन्दगी से 2,2 हाथ कौन करे..... ©Udayan Misra

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