Autumn रंगों की बौछार के आगे, फीका सब त्यो | हिंदी शायरी

"Autumn रंगों की बौछार के आगे, फीका सब त्योहार के आगे, चाहे दुनिया घूमो जितनी, कुछ भी नहीं परिवार के आगे, बीते दिन पढ़ लेते सारे, आगे क्या दीवार के आगे, देखा जिसे उसे ही जाना, होता क्या संसार के आगे, हो जाते मजबूर कृष्ण भी, भक्त की करुण पुकार के आगे, नतमस्तक विज्ञान जगत का, अनदह ध्वनि ओंकार के आगे, भाव के भूखे हैं जगदीश्वर, दिल हारे सत्कार के आगे, 'गुंजन' श्रेष्ठ बनो कर्मों से, सर न झुके करतार के आगे, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra"

 Autumn रंगों   की   बौछार  के  आगे, 
फीका सब  त्योहार के आगे,

चाहे   दुनिया   घूमो   जितनी, 
कुछ भी नहीं परिवार के आगे,

बीते   दिन   पढ़   लेते   सारे, 
आगे   क्या   दीवार  के आगे,

देखा   जिसे  उसे   ही  जाना,
होता  क्या   संसार  के  आगे,

हो  जाते   मजबूर   कृष्ण  भी, 
भक्त की करुण पुकार के आगे,

नतमस्तक  विज्ञान  जगत का, 
अनदह ध्वनि ओंकार के आगे,

भाव  के   भूखे  हैं  जगदीश्वर,
दिल  हारे  सत्कार   के   आगे,

'गुंजन'   श्रेष्ठ   बनो   कर्मों  से,
सर  न  झुके  करतार के आगे,
  --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
         चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra

Autumn रंगों की बौछार के आगे, फीका सब त्योहार के आगे, चाहे दुनिया घूमो जितनी, कुछ भी नहीं परिवार के आगे, बीते दिन पढ़ लेते सारे, आगे क्या दीवार के आगे, देखा जिसे उसे ही जाना, होता क्या संसार के आगे, हो जाते मजबूर कृष्ण भी, भक्त की करुण पुकार के आगे, नतमस्तक विज्ञान जगत का, अनदह ध्वनि ओंकार के आगे, भाव के भूखे हैं जगदीश्वर, दिल हारे सत्कार के आगे, 'गुंजन' श्रेष्ठ बनो कर्मों से, सर न झुके करतार के आगे, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra

#फीका सब त्योहार के आगे#

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