प्यारी है मेरे गाँव की माटी।
जिससे सोंधी खुशबू आती।।
हरे भरे हैं सब गली मोहल्ले।
जिन्हें देख मन में खुशियां छाती।।
हर टोले में हैं एक चौतरियाँ।
धरी है जिसपे एक छपरियाँ।।
वहाँ बैठकर है सब बतियाते ।
सब मिल खाते चाट बतासे।।
सुबह सबेरे घर में चिड़िया आती।
दोपहिया बागों में कोयल गाती ।।
घर घर में हैं गाय भैंसिया।
मे मे करती भेड़ बकरियां।।
घर घर कंडे पाथे जाते।
चूल्हे पर बनी सब रोटी खाते।।
दूध से बनती हर घर मीठी खीर।
अच्छा लगता कुंए का ठंडा नीर।।
बच्चें विद्यालय पढ़ने जाते।
शिक्षक गिनती पहाड़ा पढ़ाते।।
थैला ले दादा बाजार को जाते।
सब्जी टॉफी कम्पट बिस्कुट लाते।।
दादी नानी किस्से खूब सुनाते।
बड़े बुजुर्गों के नाम से हम जाने जाते।।
होती तरक्की कोई क्षेत्र में।
मिठाई बांटते खूब जश्न मनाते।।
होती हैं खट्टी मीठी लड़ाई।
करते सब एकदूजे की खिंचाई।।
वैर भाव मन में तनिक ना लाते।
साथ बैठ कर सब खाना खाते।।
#अनु कहे जरूर जाओ अपने गाँव।
लुफ्त उठाओ बैठो पेड़ो की ठंडी छांव।।
#अनुकीकलमसे
©Anamika Sengar Rathore
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